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देश में इस वजह से जातीय जनगणना नहीं है संभव, बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बताई वजह

caste census in bihar: जायसवाल ने आगे कहा कि इसमें सिर्फ महाराष्ट्र राज्य में ओबीसी की 484 जातियां बता दी गयी हैं. ऐसी स्थिति में जाति आधारित जनगणना कराना संभव नहीं है, क्योंकि गणना के लिए चार लाख 28 हजार कॉलम बनाना होगा, जो कहीं से संभव नहीं है.

जाति आधारित जनगणना के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर इसे कराने से इन्कार कर दिया है. इस मामले पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने हलफनामा में इसे नहीं कराये जाने के कारणों को बताते हुए पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी है. इसमें कहा है कि कुछ वर्ष पहले कराये गये एसइसीसी (सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना) में चार लाख 28 हजार जातियों का जिक्र है.

जायसवाल ने आगे कहा कि इसमें सिर्फ महाराष्ट्र राज्य में ओबीसी की 484 जातियां बता दी गयी हैं. ऐसी स्थिति में जाति आधारित जनगणना कराना संभव नहीं है, क्योंकि गणना के लिए चार लाख 28 हजार कॉलम बनाना होगा, जो कहीं से संभव नहीं है. एसइसीसी के पूरे डाटा में काफी गड़बड़ी है. इस वजह से जाति आधारित जनगणना कराना केंद्र सरकार के लिए संभव नहीं होगा.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि इसमें कई स्थानों पर लोगों की सिर्फ जाति लिख दी गयी है, ओबीसी या अन्य श्रेणी का जिक्र ही नहीं है. कई लोगों के टाइटल और गोत्र को भी जाति बता दी गयी है. इन कारणों से ही जातियों की संख्या बढ़कर चार लाख 28 हजार हो गयी है. इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जाति आधारित गणना कराना संभव नहीं है. इसलिए केंद्र ने इसे व्यावहारिक नहीं मानते हुए इसे कराने से मना कर दिया है.

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प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ओड़िसा, कर्नाटक जैसे राज्यों ने अपने स्तर से जाति आधारित जनगणना कराया है. ऐसे में किसी राज्य को जाति आधारित जनगणना कराने पर कोई रोक नहीं है. कोई भी राज्य इसे अपने स्तर से करवा सकता है.

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