Bihar News: एनटीपीसी के सीएसआर फंड से टायॅलेट निर्माण में करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने के मामले की जांच में सीबीआइ को कई हैरत अंगेज जानकारी मिली है. प्रधानमंत्री स्वच्छ विद्यालय अभियान के तहत, एनटीपीसी को औरंगाबाद के साथ अरवल, रोहतास के साथ जहानाबाद में 390 प्री-फ्राइब्रिकेटेड टायॅलेट का निर्माण काम सौंपा गया था. लेकिन इसमें कई टॉयलेट का निर्माण सिर्फ कागजों पर भी हुआ. घूस की राशि एनटीपीसी के तत्कालीन आरोपी एजीएम आरके उपाध्याय ने अपने भाई उमेश कुमार उपाध्याय के एकाउंट में लेते थे. इस मामले में गर्दन फंसता देख भाई ने ही इसकी शिकायत की और कई राज खोले.
लाखों रुपये के लेनदेन का साक्ष्य मिला, AGM की बेटी के अकाउंट में पैसे हुए ट्रांसफर
इस मामले में एकाउंट में लाखों रुपये के लेनदेन का साक्ष्य मिला है. तत्कालीन आरोपी एजीएम आरके उपाध्याय के भाई के एकाउंट से राशि बाद में एजीएम की बेटी के एकाउंट में ट्रांसफर हुआ था. उमेश कुमार उपाध्याय ने चार अप्रैल 2018 को एजीएम की बेटी के खाते में 35 लाख रुपये ट्रांसफर किए.
सीबीआई के पास गया मामला
एनटीपीसी के एजीएम आरके उपाध्याय के भाई उमेश कुमार उपाध्याय ने एकांउट में आई राशि के बारे में एनटीपीसी के चीफ विजलेंस ऑफिसर को जून 2021 को ईमेल के माध्यम से की गई शिकायत की थी.कंपनी ने मामले की गंभीरता को देखते हुये इसे सीबीआइ (एसीबी) जबलपुर को भेज दिया था.
कार्य शुरु करने के लिये ठेकेदार ने मांगे पांच लाख एडवांस, 27 लाख उनके खाते में किये ट्रांसफर
घूसखोरी में दिलचस्प मामला यह है कि सब कंट्रैक्टर सुशील कुमार पांडे ने स्थापना कार्य शुरू करने के लिए एजीएम से 5 लाख रुपये की अग्रिम राशि का अनुरोध किया, लेकिन कंट्रैक्टर मेसर्स इंडिकॉन एंटरप्राइजेज ने 7 से 17 अगस्त 2015 तक उनके खाते में लगभग 27 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिये. इसमें सुशील कुमार पांडे ने एजीएम के भाई उमेश कुमार उपाध्याय के खाते में तीन अलग-अलग तिथि को कुल 15 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिया.सुशील कुमार पांडे के बयान के अनुसार,आरोपी एजीएम ने उनसे उक्त राशि अपने भाई के खाते में स्थानांतरित करने के लिए कहा था.
फर्जी स्टांप पेपर पर एजीएम ने अपने भाई को बनवाया पार्टनर
घूसखोरी के मामले में फंसता देख आरोपी एजीएम आरके उपाध्याय ने अपने भाई को सब कंट्रैक्टर के साथ फर्जी स्टांप पेपर बनवाकर पाटर्नर दिखा दिया. जांच के क्रम में उमेश कुमार उपाध्याय ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने भाई को विभागीय कार्यवाही से बचाने के लिए उस नोटरी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन उन्होंने आरोपी द्वारा प्रस्तुत भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया. सुशील कुमार पांडे ने भी पुष्टि की है कि उन्होंने एजीएम के अनुरोध पर उनसे शेष राशि प्राप्त करने के लिए नोटरी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.उल्लेखनीय है कि जांच में यह खुलासा हुआ कि पाटर्नरशिप 2016 के स्टांप पेपर पर 2015 का एग्रीमेंट दिखा दिया गया था.