पटना में बिहार प्रीमियर लीग के पूर्व संयोजक के ठिकानों पर केंद्रीय एजेंसी की छापेमारी
पटना के लोहानीपुर में ओम प्रकाश तिवारी के यहां नगर निगम से जुड़े एक मामले में केंद्रीय एजेंसी ने छापेमारी की है.
Raid In Patna: पटना के कदमकुआं थाना क्षेत्र के लोहानीपुर स्थित एक अपार्टमेंट में गुरुवार को केन्द्रीय एजेंसी की टीम ने रेड मारी. जानकारी के मुताबिक, यह छापेमारी बिहार प्रीमियर लीग के पूर्व संयोजक ओमप्रकाश तिवारी के ठिकानों पर की जा रही है. एजेंसी की कार्रवाई ओमप्रकाश तिवारी के आवास और कार्यालय दोनों जगहों पर जारी है. सूत्रों के अनुसार फर्जी तरीके से लाखों रुपए की उगाही के आरोप में यह छापेमारी की गई है.
एक दर्जन से अधिक अधिकारी पहुंचे Raid करने
जानकारी के मुताबिक, पटना में बिहार प्रीमियर लीग कराने वाले खेल आयोजक और शिव सेना के प्रदेश महासचिव ओम प्रकाश तिवारी के ठिकानों पर केंद्रीय एजेंसी ने पटना नगर निगम, बुडको और रेलवे से फर्जी तरीके से धन उगाही के मामले में दबिश दी. करीब एक दर्जन से अधिक अधिकारी ओम प्रकाश तिवारी के कदमकुआं के लोहानीपुर की विंध्यवासिनी स्ट्रीट में दीपमाला अपार्टंमेंट स्थित कार्यालय और आवास में छापेमारी की. केंद्रीय एजेंसी की टीम ने कंपनी के लेटर पैड, दस्तावेज, इलेक्ट्रिक डिवाइस, मोबाइल रिकार्ड, मेमोरी कार्ड बरामद किए.
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2023 में दर्ज हुई थी प्राथमिकी
तिवारी के खिलाफ पटना के पाटलिपुत्र थाना में धोखाधड़ी के मामले में पिछले वर्ष ही प्राथमिकी दर्ज की गई थी. प्राथमिकी संख्या 421/23 है.उनकी कंपनी अस्तित्व, विज्ञापन और आउटसोर्सिंग के साथ-साथ सिविल कार्य भी करती है.उनकी कंपनी दानापुर में रेलवे में मिट्टी भराई का काम कर रही है.जिसमें कई तरह कीअनियमिताएं पाई गयी है.इसको लेकर भी केंद्रीय एजेंसी के रडार पर तिवारी थे.सूत्रों का कहना है कि रेलवे की आंतरिक विजिलेंस विंग ने भी उनके विरुद्ध कार्रवाई की है.
प्रीमियर लीग के टिकट में हेरा फेरा का भी आरोप
ओम प्रकाश तिवारी ने दो वर्ष पहले पटना में बिहार प्रीमियर लीग का आयोजन किया था. जिसमें टीमों की खरीदी और टिकटों की बिक्री को लेकर भी गड़बड़ी की बात सामने आई थी. फिलहाल इसकी जांच चल रही है.
पड़ोसियों को तिवारी के जालसाजी के बारे में कोई जानकारी नहीं
ओम प्रकाश तिवारी के कार्यालय और आवास पर छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस के जवान तैनात किए गये थे. छापेमारी के बाद उसके जालसाजी का पता आसपास के रहने वाले लोगों को चला. आसपास के लोग उन्हें पैसे वाले के साथ-साथ वीआईपी श्रेणी का व्यक्ति मानते थे.