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एकेयू में जल्द शुरू होगी किशोरों के लिए साइबर सुरक्षा विषय पर सर्टिफिकेट कोर्स

एकेयू के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की तरफ से ‘किशोरों के लिए साइबर सुरक्षा’ शीर्षक एक सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जायेगा तथा इस क्षेत्र में कई तरह के प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.

पटना. आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शरद कुमार यादव ने सोमवार को ऑनलाइन माध्यम से ऑस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया. उन्होंने बाल यौन शोषण पर कार्रवाई का आह्वान विषय पर अपनी बातें रखीं. यह कार्यशाला 10 अप्रैल तक चलेगी. कार्यशाला का विषय बाल शोषण के विरुद्ध ऑनलाइन लड़ें था. साइबर सुरक्षा के इस प्रयास में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय ने साझेदारी के तहत कई तरह से भाग लेने का निर्णय लिया है, जिसमें विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की तरफ से ‘किशोरों के लिए साइबर सुरक्षा’ शीर्षक एक सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जायेगा तथा इस क्षेत्र में कई तरह के प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. इस प्रोजेक्ट में बिहार पुलिस का साइबर अपराध शाखा, आइआइटी पटना, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी तथा बीआइटी मेसरा पटना सेंटर भी कार्यान्वयन, प्रशिक्षण, अनुसंधान, कानूनी जागरूकता के लिए भागीदार तथा नॉलेज पार्टनर होंगे. प्रस्तावित साझेदारी में प्रौद्योगिकी को समझने और सीखने के लिए मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में एक शिक्षण दौरा किया जा रहा है, जिसमें बिहार का प्रतिनिधिमंडल शामिल है. कार्यक्रम में मोनाश यूनिवर्सिटी की तरफ से सह निदेशक प्रो कैंपबेल विल्सन, संचालन प्रबंधक ऐ-लिन सू, प्रोफेसर जॉन राउज कार्यशाला में शामिल हैं.

ऑनलाइन बाल यौन दुव्यर्वहार सामग्री का पता चलेगा

मोनाश विश्वविद्यालय ऑस्ट्रेलिया के द्वारा 85% से अधिक सटीकता के साथ ऑनलाइन बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री का पता लगाने और उसका परीक्षण करने के लिए एक एआइ आधारित प्रणाली विकसित की गयी है. यूनिसेफ के द्वारा साइबर पीस फाउंडेशन और मोनाश यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया के साझेदारी में साइबर सुरक्षा और सीएसएएम पर कार्य करने की पहल की गयी है. इस साझेदारी के माध्यम से आइएलइसीएस लैब, मोनाश यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया द्वारा विकसित तकनीक सीखने और इसे बिहार में पायलट प्रोजेक्ट के साथ भारत के संदर्भ में अनुकूलित करने और सफल पायलट प्रोजेक्ट के बाद भारत के अन्य राज्यों में इसको लागू करने की परिकल्पना की गयी है.

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