Loading election data...

बिहार में चैत्र नवरात्रि को लेकर मंदिरों का हुआ रंग-रोगन, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि से जुड़ी जानकारी

चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को दो अप्रैल को चैत्र नवरात्र का शुभारंभ होगा. इस बार नवरात्र नौ दिनों का होगा. नवरात्र में प्रतिपदा के दिन घट स्थापना, अखंड ज्योत प्रज्जवलन होगा. पंडित सौरभ मिश्रा बताया कि प्रतिपदा तिथि दो अप्रैल शुरू हो जायेगी. इस बार नवरात्र नौ दिनों का होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | March 26, 2022 1:36 PM

भागलपुर. चैत्र शुक्ल पक्ष शनिवार दो अप्रैल को वासंतिक नवरात्र (चैत्र नवरात्र) शुरू हो रहा है. इसे लेकर शहर के बूढ़ानाथ मंदिर, मशाकचक स्थित दुर्गाबाड़ी, मानिकपुर, नाथनगर कर्णगढ़, नरगा मोहनपुर, अलीगंज, चौधरीडीह महमदाबाद, खलीफाबाग चौक आदि स्थानों पर पूजा की तैयारी अंतिम चरण में है. बाजार में पूजन सामग्री व फल का स्टॉक बढ़ा लिया गया है. इसी दिन हिंदू नववर्ष का उत्सव मनाया जायेगा और कलश स्थापन होगा. बूढ़ानाथ मंदिर में वैदिक विधि-विधान से सुबह कलश स्थापित की जायेगी. बूढ़ानाथ मंदिर के प्रबंधक बाल्मिकी सिंह ने बताया यहां रोजाना दुर्गा सप्तशती पाठ किया जायेगा. वहीं आदमपुर स्थित शिवशक्ति मंदिर में महंत अरुण बाबा के संचालन में रात्रि आठ बजे हवन-यज्ञ शुरू होगा.

कद्दू भात के साथ चैती छठ पांच से

सूर्य षष्ठी छठ व्रत का नहाय खाय या कद्दू भात पांच अप्रैल को, छह अप्रैल को चैती छठ खरना, सात अप्रैल को सायंकालीन अर्घ्य और आठ अप्रैल को प्रात:कालीन अर्घ्य दान किया जायेगा.

10 अप्रैल को रामनवमी

चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को दो अप्रैल को चैत्र नवरात्र का शुभारंभ होगा. इस बार नवरात्र नौ दिनों का होगा. नवरात्र में प्रतिपदा के दिन घट स्थापना, अखंड ज्योत प्रज्जवलन होगा. पंडित सौरभ मिश्रा बताया कि प्रतिपदा तिथि दो अप्रैल शुरू हो जायेगी. इस बार नवरात्र नौ दिनों का होगा. कलश स्थापन के लिए सूर्योदय से लेकर प्रतिपदा तिथि सुबह 11:28 से अभिजीत मुहूर्त आरंभ होगा. जो सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त 12:30 बजे तक रहेगा.

नौ दिनों तक मां की पूजा का बेहतर योग

दिनभर कलश स्थापन किया जा सकेगा. रामनवमी 10 अप्रैल को होगी. नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ दिनों तक चलती है. नवरात्र के शुरुआत में प्रतिपदा तिथि को उत्तम मुहूर्त में कलश स्थापना होगी. कलश को भगवान गणेश के रूप में माना जाता है, जो किसी भी पूजा में सबसे पहले पूज्य हैं. नौ दिनों तक मां की पूजा का बेहतर योग है. 11 अप्रैल को दशमी पूजा के साथ चैत्र नवरात्र का समापन होगा.

Also Read: Chaitra Navratri 2022 Date: कब से शुरू हो रहा चैत्र नवरात्रि ? इस बार बन रहे हैं ये 4 बेहद शुभ योग, जानें
रेवती नक्षत्र व इंद्र योग में अश्व पर सवार होकर आयेंगी मां

पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि इस बार रेवती नक्षत्र और इंद्र योग में शक्ति का आगमन होगा. शनिवार को माता दुर्गा अश्व पर सवार होकर आयेगी. सोमवार को विसर्जन के दिन हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेगी.

दुर्गाबाड़ी में बांग्ला विधि से पूजन

आर्य धर्म प्रचारिणी सभा(हरि सभा) व भागलपुर दुर्गाबाड़ी की ओर से वासंती दुर्गा पूजा होगी. यहां पर बांग्ला विधि-विधान से पूजा-अर्चना होगी. दुर्गाबाड़ी के अध्यक्ष डॉ सोमेन चटर्जी ने बताया कि पूजा की तैयारी है, लेकिन अन्य कार्यक्रम पर निर्णय नहीं लिया गया है. मानिकपुर में वैदिक विधि से कलश स्थापित की जायेगी. पहली पूजा से ही रोजाना आठ दिनों तक सप्तशती दुर्गा का पाठ एवं रोजाना संध्या आरती का आयोजन होगा. छठी पूजा के मध्य रात्रि में प्रतिमा स्थापित की जायेगी. महमदाबाद-चौधरीडीह में कलश स्थापित की जायेगी.

Next Article

Exit mobile version