Chaitra Navratri: बिहार में दो अप्रैल से कलश स्थापना के साथ शुरू होगी नवरात्रि, जानें कब मनेगी रामनवमी
Chaitra Navratri 2022: 10 अप्रैल को रामनवमी मनायी जायेगी और 11 अप्रैल दिन रविवार को नवरात्री पूजन समाप्त होगा. दैवज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि देवी मां का वाहन इस बार घोड़ा है. घोड़ा युद्ध की आशंका को दर्शाता है.
पटना. इस साल चैत्र नवरात्रि दो अप्रैल से शुरू हो रही है. धर्म शास्त्रों और पुराणों के अनुसार चैत्र नवरात्रि का समय बहुत ही शुभ होता है. इस बार नवरात्र में भक्तों को दर्शन देने मां भगवती घोड़े पर सवार होकर आयेंगी. 10 अप्रैल को रामनवमी मनायी जायेगी और 11 अप्रैल दिन रविवार को नवरात्री पूजन समाप्त होगा. दैवज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि देवी मां का वाहन इस बार घोड़ा है. घोड़ा युद्ध की आशंका को दर्शाता है.
जानें कलश स्थापना का शुभ समय
हिंदू शास्त्र में मां जगदंबा के हर वाहन का अलग-अलग महत्व बताया गया है. इनके वाहनों का देश दुनिया और धरती पर बड़ा असर पड़ता है. हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए इस साल कलश स्थापना का शुभ समय 2 अप्रैल को सुबह 6 बजे से 11:28 बजे तक रहेगा. वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि सुबह 6:05 से 10:00 बजे तक कलश स्थापना का सर्वोत्तम मुहूर्त है. वैसे 11:28 मिनट तक कलश स्थापना की जा सकेगी.
दुर्गा मंदिर में हो रही तैयारी
पिछले दो सालों से कोरोना के कारण चैत्र नवरात्र में मेला का आयोजन नहीं हो रहा हैं और ना ही लोगों की भीड़ उमड़ रही थी, लेकिन इस बार सभी दुर्गा मंदिरो में भव्य तरीके से मां की पूजा अर्चना चल रही है. वहीं पूजा की तैयारी मंदिर में शुरू हो चुकी है. मंदिरों में रंग-रोगन के साथ-साथ विशेष सफाई भी की जायेगी.
कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले मां दुर्गा की तस्वीर छोटी चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर उसपर रखे सामने अखंड ज्योति जला दें. इसके बाद चौकी के सामने नीचे मिट्टी रखे उसमे जौ डालकर मिला दे एक कलश को अच्छे से साफ करके उस पर कलावा बांधें. स्वास्तिक बनाएं और कलश में थोड़ा गंगा जल डालकर पानी भरें. इसके बाद कलश में साबुत सुपारी, अक्षत और दक्षिणा डालें.
कलश के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और कलश को बंद करके इसके ढक्कन के ऊपर अनाज भरें. अब एक जटा वाले नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर अनाज भरे ढक्कन के ऊपर रखें. इस कलश को जौ वाले मिट्टी के बीचोबीच रख दें. इसके बाद सभी देवी और देवता का आवाह्न करें और माता के समक्ष नौ दिनों की पूजा और व्रत का संकल्प लेकर नौ दिनों की पूजा और व्रत का संकल्प लेकर पूजा विधि प्रारंभ करें.