चौसा थर्मल पावर से इस वर्ष उत्पादन शुरू होने की उम्मीद

बक्सर के नवनिर्मित चौसा थर्मल पावर स्टेशन से इस साल उत्पादन शुरू होने की पूरी उम्मीद है. 660 मेगावाट की दो यूनिट में से एक यूनिट का उत्पादन शुरू होने पर बिहार को कोटे की 561 मेगावाट बिजली मिलेगी. चौसा से बिजली मिलने पर बिहार को बाजार से बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

By Prabhat Khabar News Desk | May 6, 2024 12:47 AM

– 660 मेगावाट की पहली यूनिट के शुरू होने पर बिहार को मिलेगी 561 मेगावाट बिजली संवाददाता, पटना. बक्सर के नवनिर्मित चौसा थर्मल पावर स्टेशन से इस साल उत्पादन शुरू होने की पूरी उम्मीद है. 660 मेगावाट की दो यूनिट में से एक यूनिट का उत्पादन शुरू होने पर बिहार को कोटे की 561 मेगावाट बिजली मिलेगी. चौसा से बिजली मिलने पर बिहार को बाजार से बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बिजली कंपनी के मुताबिक चौसा बिजली घर को चालू करने की कार्रवाई तेजी से चल रही है. रेल ट्रैक और गंगा नदी से पानी का उपयोग करने के लिए चैनल का निर्माण होना बाकी है. पहली यूनिट के साल भर बाद ही दूसरी यूनिट होगी शुरू अधिकारियों के मुताबिक पहली यूनिट के शुरू होने के एक साल के भीतर 660 मेगावाट की दूसरी यूनिट भी शुरू हो जायेगी. इस तरह 2025 के अंत तक चौसा बिजली घर की दोनों यूनिट चालू होने की संभावना है. चौसा में अभी 660 मेगावाट की दो इकाई पर ही काम चल रहा है. भविष्य में चौसा में 660 मेगावाट की एक और इकाई का निर्माण किया जायेगा. इस तरह चौसा बिजली घर की कुल उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट से बढ़कर 1980 मेगावाट हो जायेगा. इसमें से बिहार को 1683 मेगावाट बिजली मिलेगी. 2013 में एसजेवीएन से हुआ था करार चौसा बिजली घर बनाने के लिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार व हिमाचल प्रदेश की साझा कंपनी एसजेवीएन से 17 जनवरी 2013 को करार किया था. इस बिजली घर में 30 प्रतिशत तक विदेशी कोयला का उपयोग होगा. 2008 में इस परियोजना की लागत 6791 करोड़ आंकी गयी थी जो मई 2014 में बढ़ कर 9591 करोड़ और अभी लगभग 13 हजार करोड़ से अधिक हो गयी है. बिजली घर पर काम शुरू होने के समय उत्पादन लागत 2.55 रुपये आंकी गयी थी जो अभी चार रुपये प्रति यूनिट से अधिक हो गयी है. मांग और आपूर्ति में आयेगी कमी कंपनी अधिकारियों के मुताबिक चौसा में एक और बिजली घर बनने से बिहार में बिजली की मांग और आपूर्ति में होने वाली कमी दूर हो जायेगी. अभी राज्य में बिजली की औसत मांग सात हजार मेगावाट है जो साल के अंत तक आठ हजार मेगावाट होने का अनुमान है. केंद्रीय कोटा से बिहार को लगभग छह हजार मेगावाट बिजली मिलती है. ऐसे में बिहार को निजी कंपनी के अलावा खुले बाजार से बिजली लेनी पड़ती है. चौसा में एक और बिजली इकाई के चालू होने से खुले बाजार पर बिहार की निर्भरता कम हो जायेगी.

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