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Patna News : विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी, रोजगार के बदले थमाया टूरिस्ट वीजा

पटना में नौकरी के नाम पर ठगी का मामला सामने आया है. इस बात का खुलासा एयरपोर्ट पर चेकिंग के दौरान हुआ. शातिरों ने अपना ऑफिस गांधी मैदान थाने के भट्टाचार्य मोड़ के पास खोल रखा था. हैरत की बात है कि ठगी के शिकार होने वालों में कई पुलिसकर्मियों के रिश्तेदार भी हैं.

पटना. इराक में नौकरी दिलाने के नाम पर अलग-अलग राज्यों के कुल 32 लोगों से शातिरों ने 28 लाख रुपये की ठगी कर ली है. इस बात खुलासा तब हुआ, जब मंगलवार की सुबह वीजा लेकर सभी लोग एयरपोर्ट पर इराक के लिए फ्लाइट पकड़ने पहुंचे. एयरपोर्ट में चेकिंग के दौरान वहां के अधिकारियों ने सभी को रोक दिया. लोगों से जब एयरपोर्ट अधिकारी ने पूछा कि आप लोग एक महीने के टूर पर जा रहे हैं, तो रिटर्निंग टिकट कहां है. यह बात सुन सभी दंग रह गये. सभी ने अधिकारी से कहा कि हम घूमने नहीं, बल्कि इराक में नौकरी करने जा रहे हैं.

इसके बाद अधिकारी ने बताया कि उनके पास रोजगार वीजा नहीं, बल्कि एक महीने का टूरिस्ट वीजा है और टूरिस्ट वीजा में रिटर्निंग टिकट नहीं है. जानकारी के बाद सभी ने नौकरी दिलाने वाली कंपनी के कर्मचारी को फोन लगाया, लेकिन उसका फोन ऑफ था. इसके बाद सभी लोग घर न जाकर सीधे पटना आकर गांधी मैदान थाना पहुंच गये. यहां पता चला कि ऑफिस बंद कर सभी शातिर फरार हैं.

मामले की जानकारी लेकर पहुंचे तीन लोग

इस बात की जानकारी देने कोतवाली थाना पहुंचे, जहां से उन्हें गांधी मैदान थाना भेज दिया गया. इस संबंध में गोपालगंज के मिलेश कुमार पांडेय, सासाराम के मो परवेज अख्तर और यूपी के दिलदारनगर के मो मोम्जात खां ने गांधी मैदान थाने में आवेदन दिया है. शातिरों ने अपना ऑफिस गांधी मैदान थाने के भट्टाचार्य मोड़ के पास खोल रखा था. हैरत की बात है कि ठगी के शिकार होने वालों में कई पुलिसकर्मियों के रिश्तेदार भी हैं, जो पटना में कार्यरत हैं. गांधी मैदान थानाध्यक्ष ने बताया कि आवेदन दिया गया है, जांच की जा रही है.

मोबाइल पर देखा था विज्ञापन, वहीं से कॉल पर हुआ था संपर्क

मो मोम्जात खां ने बताया कि लॉकडाउन के बाद रोजगार की तलाश थी. हम सभी सऊदी अरब, दुबई और कतर में भी काम कर चुके हैं. लॉकडाउन के बाद सभी घर लौट गये थे. नौकरी नहीं थी. इसके बाद फिर से रोजगार की तलाश कर रहे थे. इसी दौरान मोबाइल पर एक लाख रुपये वाले इराक में ड्राइवर के जॉब का विज्ञापन देखा. विज्ञापन में दिये गये नंबर पर बात की और डॉक्यूमेंट देकर वीजा बनवाया. शुरू में एक लाख रुपये लेने की बात की, लेकिन बाद में फिर 80 हजार रुपये में डील हो गया. पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि देकर ऑनलाइन पैसा पेमेंट किया. ऑफिस में यहां कुल पांच लोग थे. दो लड़कियां ऑफिस के बाहर, दो लड़के ऑफिस के अंदर और एक बाहर का काम करता था. मुलाकात के दौरान ऑफिस के एक शख्स ने पूरी जानकारी दी और कहा कि एक महीने के भीतर ही वीजा आ जायेगा.

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किसी ने सूद, तो किसी ने गहने बेच कर दिये थे पैसे

दरअसल, कोरोना के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोग नौकरी मिलने की खुशी में 80 हजार रुपये की जुगाड़ में लग गये. किसी ने सूद पर पैसा लिया, तो किसी ने गहने गिरवी रख कर पैसा लिया. यही नहीं, कई ने तो अपने रिश्तेदारों और परिवार के लोगों से कर्ज लेकर पैसा दिया. ठगी की खबर सुनते ही लोगों के होश उड़ गये, वहीं एक शख्स तो मुंबई में एयरपोर्ट पर ही बेहोश हो गया.

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