संवादददाता, पटना राज्य के 18 जिले प्रकृति की दोहरी मार झेल रहे हैं. एक ओर इन जिलों में तेजी से भू-जल स्तर गिरता है. वहीं, दूसरी ओर इन जिलों में बारिश उपजाऊ मिट्टी बहाकर नदी व नालों में गिरा देती है. बांका, मुंगेर, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, पटना, जहानाबाद, अरवल, भोजपुर, भागलपुर, बक्सर व बेगूसराय जिले इससे प्रभावित हैं. इन जिलों में उच्च तापमान के कारण वाष्पीकरण भी बहुत अधिक मात्रा में होता है. इससे किसानों को सबसे अधिक परेशानी होती है. इन 18 जिलों में खेती पूरी तरह से मॉनसून पर निर्भर है. खेतों की सिंचाई के लिए किसानों को पानी के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. इससे निजात दिलाने के लिए इन जिलों में 30 फीट गहरे चेकडैम, तालाब निर्माण, मेढ़बंदी व अन्य मिलाकर कुल 1444 योजनाएं तैयार की गयी हैं. इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर 20508 लाख रुपये खर्च का प्रस्ताव है. खेत का पानी खेत में, खेत की मिट्टी खेत पर होगा काम भूमि व जल को उसके मूल स्थान पर संरक्षित करने की योजना बनायी गयी है. खेत का पानी खेत में और खेत की मिट्टी खेत के आधार पर इन जिलों में मिट्टी व पानी को संरक्षित किया जायेगा. जमीन का समतलीकरण, खेतों की मेढ़बंदी, आहर, पइन जीर्णोद्धार, सिंचाई कूप आदि का निर्माण कराया जायेगा. सामुदायिक तालाब का निर्माण और जीर्णोद्धार कराया जायेगा. उत्पाद प्रणाली विकसित की जायेगी. साद अवरोधक बांध, अर्दन चेकडैम का निर्माण किया जायेगा. 18 जिलों में जीविकोपार्जन गतिविधियां भी चलेंगी इन 18 जिलों में जीविकोपार्जन गतिविधियां भी चलायी जायेंगी. इन गतिविधियों पर कुल 1648 लाख रुपये खर्च किये जायेंगे. इस कार्यक्रम के तहत तैनात अधिकाशं योजनाओं में लगातार मरम्मत की जरूरत होती है. इस कारण 10 फीसदी राशि मरम्मत पर खर्च की जायेगी.
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