सारण जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब से हुई 40 लोगों की मौत पर बिहार में सियासी खींचतान जारी है. एक तरफ जहां विपक्ष राज्य सरकार पर हमलावर है तो वहीं अब महागठबंधन के अन्य दल भी नीतीश सरकार को अपने निशाने पर ले रहे हैं. गुरुवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में शामिल होने आए माले विधायकों ने भी शराबबंदी को निशाने पर लिया. माले विधायकों ने विधानसभा के बाहर तख्ती लेकर प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन कर रहे माले विधायकों ने राज्य सरकार से मांग की कि राज्य में शराबबंदी के नाम पर दलितों-गरीबों पर दमन चलाना बंद हो इसके साथ ही उन्होंने सारण में कथित तौर पर शराब पीने की वजह से मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए भी मुआवजे की मांग की है. छपरा में शराब से मरने वालों की संख्या 40 के पास पहुंच चुकी है. इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार लगातार ही विपक्ष के निशाने पर है.
सीपीआई (एमएल) के विधायक मनोज मंज़िल ने कहा कि शराब को लेकर भाजपा की साजिश की जांच होनी चाहिए. उन्होंने सरकार से मृतकों के परिजनों को दस लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है. उन्होंने शराबबंदी कानून सही बताते हुए शराब माफिया पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि माफियाओं पर प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होती है तो वो बहुत दुखद है. सरकार और प्रशासन को इस बात पर गंभीर होना चाहिए ताकि बिहार में शराब न आ सके. वहीं सीपीआई (एमएल) के विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि बिहार में बुलडोजर राज न चले, इस मामले को लेकर सरकार हाई कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखे ताकि गरीबों की परेशानी कम हो.
वहीं आज गुरुवार को विधान परिषद की पहली पाली में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने छपरा में हुई मौत पर चर्चा कराने की मांग की. इसी दौरान वरिष्ठ विधान पार्षद संजय पासवान ने सभापति से आग्रह किया कि छपरा में हुई मौत पर पेश किये गये कार्य स्थगन प्रस्ताव को मंजूर करके उस पर चर्चा करायी जाये. सभापति देवेश चंद्र कार्य स्थगन प्रस्ताव को अमान्य करते हुए कहा कि पहले सदन के पूर्व निर्धारित कार्य होने दिये जायें. इस पर विपक्ष के सभी सदस्य खड़े हो गये. फिर वेल में उतर गये. मुश्किल से करीब 10 मिनट में सदन साढ़े बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.