Video: छठ में आये प्रवासियों को लौटने में छूटे पसीने, ट्रेन में सीट मिलने में करना पड़ा जद्दोजेहद

छठ के बाद लौटने के लिए लोकल ट्रेनों में भी भीड़ बढ़ गई थी. भभुआ से आनेवाली इंटरसिटी एक्सप्रेस के शाम साढ़े पांच बजे आने पर उसमें सीट लेने के लिए अफरा-तफरी मच गयी. सीट लेने के लिए ट्रेन के आने से पहले यात्री प्लेटफॉर्म के दूसरी तरफ पर खड़े होकर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे.

By RajeshKumar Ojha | November 9, 2024 9:41 PM

छठ में आये प्रवासियों ने सपरिवार धूमधाम से छठ पर्व मनाया. अब वापसी में पसीने छूट रहे हैं. ट्रेनों में सीट पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों में आरक्षित सीट नहीं मिलने पर लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. छठ पर्व की समाप्ति के दूसरे दिन शनिवार को भागलपुर से आनंद बिहार जानेवाली विक्रमशिला एक्सप्रेस में चढ़ाने के लिए पटना जंक्शन पर रस्सी के सहारे कतार में यात्रियों को खड़ा कर जेनरल कोच में प्रवेश कराया गया. आरपीएफ के जवानों ने कोच में चढ़ने में सहयोग किया.

इससे भगदड़ की स्थिति नहीं हुई. साथ ही लोग सामान के साथ सुरक्षित चढ़ पाये. कोच में निर्धारित सीट से अधिक यात्रियों के चढ़ जाने से स्लीपर बोगी में सीट पर बैठने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी. लोअर बर्थ की सीट पर पांच से छह यात्री बैठ कर गये. कोच के गेट पर बैठे एक यात्री भीड़ में ट्रेन से नीचे गिर गये . संयोग अच्छा रहा कि ट्रेन रुकी हुई थी. बाद में रेलयात्री सहयोगकर्मियों ने उसे निकाला.

इस्लामपुर से नयी दिल्ली जानेवाली मगध एक्सप्रेस की स्लीपर बोगी में पहले से ही यात्रियों की भीड़ थी. पटना जंक्शन पर यात्रियों को चढ़ने के लिए मशक्कत करनी पड़ी. कोच के अंदर बैठे यात्रियों ने बातचीत में कहा कि रविवार को पहुंच कर साेमवार से ड्यूटी पर निकलना है. इसलिए दो माह पहले टिकट आरक्षित कराया था. नयी दिल्ली जानेवाली संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस के अलावा पूर्वा एक्सप्रेस, महानंदा एक्सप्रेस, श्रमजीवी एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनों में काफी भीड़ रही.

रेलयात्री सहयोगकर्मी यात्रियों को समझाते दिखे

लोकल में भभुआ से आनेवाली इंटरसिटी एक्सप्रेस के शाम साढ़े पांच बजे आने पर उसमें सीट लेने के लिए अफरा-तफरी मच गयी. सीट लेने के लिए ट्रेन के आने से पहले यात्री प्लेटफॉर्म के दूसरी तरफ पर खड़े होकर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. रेलयात्री सहयोगकर्मियों ने सभी यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर आने के लिए समझाते रहे. कुछ को तो लाने में सफल रहे, लेकिन कुछ अपनी जिद्द पर खड़े रहे. ट्रेन के आने पर ऐसे यात्री दूसरी तरफ से ही चढ़े.

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