बिहार के विभिन्न जिलों से गरीब परिवार के बच्चों को काम कराने के लिए दूसरे राज्यों में लेकर जाया जाता है. इसमें जुड़े लोग बच्चे के मां-बाप को पैसा का लोभ देते हैं, जिसमें फंस कर बच्चों को अभिभावक दूसरे के हाथों में सौंप देते हैं. जो लोग बच्चों को लेकर जाते हैं. उनसे कई तरह के काम कराते है. जैसे कारखाना में काम करने के अलावे उन्हें चूड़ी, लहठी और फटाका भी बनवाया जाता है.
बाल श्रम पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने के लिए बच्चों की होगी निगरानी
अब ऐसे बच्चों की निगरानी बढ़ाने के लिए समाज कल्याण और श्रम संसाधन विभाग संयुक्त रूप से अभियान चलायेगा. वहीं, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के स्लम में रहने वाले व गरीब बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ा जायेगा. इसके लिए अगले माह से अभियान चलाया जायेगा, ताकि बाल श्रम पर अंकुश लग सकें.
सेविका-सहायिका व जीविका को भी दी जायेगी जिम्मेदारी
बाल श्रम को रोकने के लिए सेविका-सहायिका और जीविका को जिम्मेदारी दी जायेगी. इसके लिए समाज कल्याण विभाग के स्तर योजना बनाया जायेगा. जिसमें सेविका-सहायिका अपने क्षेत्र के गरीब बच्चों का डेटा रखेंगे, ताकि जब कोई बच्चों को दूसरे राज्यों में श्रम कराने के लिए लेकर जायेगा. तो उनके बारे में सेविका व सहायिका के पास भी सूचना आ सकें.
अधिकारी चलायेंगे जागरूकता अभियान
समाज कल्याण और श्रम संसाधन विभाग के अधिकारी जिलों में बाल श्रम को लेकर जागरूकता अभियान चलायेंगे. इसको लेकर जिलों को दिशा-निर्देश भेजा गया है साथ ही, जिला प्रशासन से भी सहयोग लिया जायेगा. जहां भी बाल श्रम अधिक होते हैं. वैसे क्षेत्रों में अधिकारियों की टीम नियमित छापेमारी करेगी. बाल श्रम से मुक्त कराये गये बच्चों और उनके माता व पिता को जागरूक करेंगे कि वह बच्चों से बाल श्रम नहीं कराये.