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सरकारी स्कूलों के बच्चे बनाना सीखेंगे मिट्टी के खिलौने, लोक शिल्प की मिलेगी जानकारी

सरकारी स्कूलों के बच्चे बनाना सीखेंगे मिट्टी के खिलौने, लोक शिल्प की मिलेगी जानकारी

संवाददाता, पटना

मोबाइल और इटरनेट के इस दौर में स्कूली बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपरा से अवगत कराने क लिए शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल स्तर पर शिक्षा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है. शिक्षा सप्ताह के अंतर्गत बच्चों को स्थानीय खेल और शिल्पकारी की बारिकियों को सीखाने के साथ ही उसे बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जायेगा. शिक्षा सप्ताह के तहत स्कूलों में तीन अगस्त तक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. इसमें बच्चों को मिट्टी से खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा. विभाग ने स्कूलों में पढ़ाई के अलावा इस तरह के कार्यक्रम तैयार किया है. जिसमें बच्चों द्वारा मिट्टी का ढालना, उसे विभिन्न रूपों में आकार देना, कटोरे, फूलदान, मिट्टी से बर्तन बनाने, मिट्टी से ऐतिहासिक वस्तुओं का निर्माण कर इतिहास और उसके महत्व की जानकारी दी जायेगी.

वेणु शिल्प की बारीकियों को सिखाने के लिए आयोजित होगी कार्यशाला

स्कूलों में वेणु शिल्प (बांस शिल्प) की बारीकियों को सिखाने के लिए कार्यशाला आयोजित की जायेगी. इसके तहत बच्चों को बांस को काटना, विभाजित करना, आकार देना और जोड़ना सिखाया जायेगा. इसके अलावा पारंपरिक तरीके से जैसे आरी से काटना, प्राकृतिक रेशों या आधुनिक चिपकने वाले पदार्थों से बांध कर बांस से उपयोगी वस्तु तैयार करना सिखाया जायेगा. इसमें बच्चों को बांस से टोकरी तैयार करना, फूलदान, पेन स्टैंड, सजावटी समान, बांस पर पेंटिंग कर नक्काशी करना आदि चीजें बच्चों को सिखायी जायेगी. बच्चों को पुराने कपड़े से बैग बनाना और डिजाइन करने की भी जानकारी दी जायेगी.

स्वदेशी खेलों को दिया जायेगा बढ़ावा

स्कूली बच्चों को स्थानीय संस्कृति से अवगत कराने के लिए स्वदेशी खेलों को शामिल किया गया है. इसमें लूडो खेलना, कबड्डी, कीत-कीत, कैरम, फुटबॉल, हॉकी सहित अन्य इंडोर गेम और आउट डोर गेम आयोजित किये जायेंगे. शिक्षकों से कहा गया है कि खेलने के समय बच्चों का ख्याल रखें. इसके साथ ही कोशिश करें की स्वदेशी खेल ज्यादा हो, जिसको आज के बच्चे भूल चुके हैं.

पारंपरिक कला से भी अवगत होंगे बच्चे

शिक्षा विभाग की ओर से दिये निर्देश में कहा गया है कि शिक्षा सप्ताह के तहत चलने वाले कार्यक्रम में पारंपरिक कला को बढ़ावा दिया जायेगा. इसमें नुक्कड़ नाटक, कठपुतली शो, विभिन्न लोक व क्षेत्रीय समकालीन शैलियों में कहानी सुनना, वेशभूषा, भोजन, कला, वस्तुकला, चित्रकला, नृत्य, संगीत, रंगमंच जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. बच्चों को ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराया जायेगा. इसको देख बच्चे अपने इतिहास को याद कर सकें. जैविक खेती, बागवानी-नर्सरी, डेयरी फॉर्म, पशुपालन, सहकारी समिति, पार्क, जंगल, उद्यानों, अन्न की पहचान, सब्जी की पहचान और पौधे की पहचान व उसकी जानकारी भी दी जायेगी.

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