कैंपस : पोषण वाटिका तैयार करने के लिए बच्चे बाल्टी और प्लास्टिक की बोतल में उगायेंगे पौधे

बच्चों को पढ़ाई के साथ ही बागबानी के गुर सिखाने के लिये पोषण वाटिका तैयार करने को लेकर सभी स्कूल प्रबंधकों को जिला शिक्षा पदाधिकारी की ओर से निर्देशित किया गया है

By Prabhat Khabar Print | July 1, 2024 8:57 PM

संवाददाता, पटना

जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ ही बागबानी के गुर सिखाने के लिये पोषण वाटिका तैयार करने को लेकर सभी स्कूल प्रबंधकों को जिला शिक्षा पदाधिकारी की ओर से निर्देशित किया गया है. जिले में पोषण वाटिका तैयार करने के लिए चयनित किये गये 565 स्कूलों को जुलाई माह तक का समय दिया गया है. सूची में वैसे स्कूलों को ही शामिल किया गया है, जहां ऑर्गेनिक फॉर्मिंग के लिए पर्याप्त जगह और सिंचाई के लिए पानी की सुविधा है. वहीं जिन स्कूलों में जगह की कमी है, वहां के बच्चों को स्कूल की छत, बाल्टी, प्लास्टिक की बोतल और गमले में पौधे उगाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा. विद्यार्थियों को गमले और प्लास्टिक की बोतल में पौधे उगाने की जानकारी देने के लिए वर्कशॉप का भी आयोजन किया जायेगा. कम जगह में पोषण वाटिका में उगायी जाने वाली सब्जियों की भी लिस्ट तैयार की गयी है. इसमें पालक, मूली, धनिया, मेथी, टमाटर, मिर्च, गाजर और पुदीना को शामिल किया गया है. सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को अपने-अपने स्कूलों में इन पौधों को अधिक से अधिक संख्या में लगाने का निर्देश दिया गया है. वहीं जिन स्कूलों में पर्याप्त जगह है, वहां की वाटिका में बच्चों को गोभी, मटर और अन्य सीजनल सब्जियों की खेती के तरीके और सिंचाई के बारे में जानकारी दी जायेगी.

उपजायी गयी सब्जियों के पोषक तत्वों से भी कराया जायेगा अवगत

किस मौसम में कैसी सब्जियों का सेवन करना चाहिए और अलग-अलग मौसम में पायी जाने वाली सब्जियों में कौन-कौन-से पोषक तत्व होते हैं, इसकी भी जानकारी बच्चों को दी जायेगी. स्कूलों में उपजायी गयी मौसमी सब्जियों के सेवन के फायदे और उसमें पाये जाने वाले विटामिन के बारे में भी बच्चों को बताया जायेगा. बच्चों की उपजायी गयी सब्जियों का इस्तेमाल स्कूलों में चलने वाले मध्याह्न भोजन में भी किया जायेगा. जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि अंकुरण प्रोजेक्ट के तहत पोषण वाटिका तैयार करने का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पोषण युक्त हरी ताजा सब्जियां खिलाना है, ताकि बच्चों में खून की कमी और कुपोषण दूर हो सके.

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