लोजपा में चल रहे घमासान के बीच लोक जनशक्ति पार्टी ने अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कर लिया है. रामविलास पासवान के भाइ व हाजीपुर सांसद पशुपति कुमार पारस अब लोजपा के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिये गये हैं. इससे पहले जब चुनाव नहीं हुआ था तब चिराग पासवान को इस पद से हटाने के बाद लोजपा नेता सुरजभान सिंह को कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष का भार सौंपा गया था. समाचार चैनल जी न्यूज के संवाददाता से बात करते हुए उन्होंने पासवान घराने में हो रहे अंर्तकलह पर अपना पक्ष रखा.
हाल में ही लोक जनशक्ति पार्टी में बगावत के बाद लोजपा में दो खेमा बन गया. एक खेमे का नेतृत्व जहां चिराग पासवान कर रहे थे तो बागी खेमा की कमान पशुपति कुमार पारस के हाथों में रही. पारस खेमें में कुल 5 सांसद रहे जिन्होंने चिराग से खुद को अलग कर लिया. सभी सांसदों ने पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया. वहीं चिराग खेमे ने लोजपा पर अपनी दावेदारी देकर पांचो बागी सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया.
पार्टी और परिवार में दोफाड़ के बीच सबसे सक्रिय दिखे सुरजभान सिंह, जिन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि पांच सांसदों को निष्कासित करने का अधिकार किसी को नहीं है क्योंकि हर दल में सांसदों को अपना नेता चुनने का अधिकार होता है. उन्होंने कहा कि जो भी बात है उसे बैठकर शांति से करना चाहिए.
चिराग के बारे में बिना नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी इसमें ज्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए. पार्टी कल भी उनकी ही थी, आज भी है और कल भी उनकी ही रहेगी. उन्हें समझना चाहिए कि कलतक उनके हाथ में थी अब चाचा के हाथ में है. ना किसी बाहरी के हाथ में है और ना ही विलय किया गया है. सबकुछ उनका (चिराग ) ही है. सुरजभान ने कहा कि अभी चिराग को ऐसा काम करना था कि सभी लोगों का मुंह बंद रहता कि लोजपा कल और आज भी हमारा ही है. कुछ दिन वो चाचा (पारस) के नेतृत्व में काम कर लेते. फिर तो आगे उन्हें ही पार्टी चलाना है.
सूरजभान ने कहा कि पार्टी भी चलेगी और परिवार भी बचा रहेगा. सबकुछ पार्टी के संविधान के तहत ही किया जाएगा. चाचा-भतीजा के विवाद पर उन्होंने कहा कि मैने (सूरजभान) खुद कई बार इस विवाद को सुलझाने का प्रयास किया है. इस मामले में मैं उन्हें भी दोषी मानता हूँ. अंत तक मैने प्रयास किया कि आखिरी बैठक तक मैने प्रयास किया लेकिन वो (चिराग) किस नींद में चल रहे थे, मैं नहीं कह सकता. अब उन्हें कुछ दिन इन्हें (पशुपति कुमार पारस) को पार्टी चलाने देना चाहिए उसके बाद बागडोर अपनी हाथ में ले लें और पार्टी चलाएं.
कार्यकारी अध्यक्ष बनने के मामले में उन्होंने कहा कि इस पद को कुछ दिनों के लिए उन्हें सौंप दिया गया है जबकि वो ऐसा नहीं चाहते थे. सूरजभान ने कहा कि मैं सिपाही बनकर ही चला और आगे भी इसी भूमिका में चलना पसंद है. बता दें कि पटना में नेशनल काउंसिल की बैठक में पशुपति कुमार पारस को लोजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है.
Posted By: Thakur Shaktilochan