हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका लेकिन हार नहीं मानेंगे चिराग, डबल बेंच में अपील की तैयारी, जानें पूरा विवाद
लोजपा में दो फाड़ के बाद चिराग और पारस गुट लगातार एक दूसरे के आमने-सामने हैं. चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता बनाये जाने के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली हाइकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी. चिराग को हाईकोर्ट ने ये झटका जरुर दिया लेकिन वो इस मामले में अभी पीछे नहीं हटने वाले हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चिराग अब हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील करने की तैयारी कर रहे हैं.
लोजपा में दो फाड़ के बाद चिराग और पारस गुट लगातार एक दूसरे के आमने-सामने हैं. चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता बनाये जाने के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली हाइकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी. चिराग को हाईकोर्ट ने ये झटका जरुर दिया लेकिन वो इस मामले में अभी पीछे नहीं हटने वाले हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चिराग अब हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील करने की तैयारी कर रहे हैं.
गौरतलब है कि लोजपा में दो फाड़ के बाद चिराग गुट और पारस गुट में पार्टी पर वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता मान लिया. जिस फैसले के विरोध में चिराग खेमा हाइकोर्ट पहुंचा. लेकिन वहां चिराग को तब निराशा हाथ लगी जब फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली हाइकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी.
इस मामले पर सुनवायी करते हुए न्यायाधीश रेखा पल्ली ने कहा था कि याचिका में कोई आधार नहीं है. अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिका अपनी राजनीतिक लड़ाई को साधने के लिए दायर की गयी है. कोर्ट ने चिराग पासवान को चुनाव आयोग जाने को कहा था.हाइकोर्ट ने इस फैसले पर कहा था कि विवाद की स्थिति में संसदीय दल के नेता के पद पर फैसला लेने का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष को है. ऐसे में इस मामले में आदेश देने की जरूरत नहीं है.
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चिराग पासवान की ओर से वकील एके बाजपेयी ने दलील पेश करते हुए कहा था कि चिराग पासवान को हटाकर पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नेता बनाना पार्टी संविधान के नियमों के खिलाफ है. ऐसा फैसला सिर्फ पार्टी का संसदीय बोर्ड ले सकता है. ऐसे में पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता नहीं माना जा सकता है.
वहीं, लोकसभा अध्यक्ष की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि यह याचिका सुनने योग्य नहीं है. पार्टी के छह सांसदों में से पांच याचिकाकर्ता के साथ नहीं हैं. अगर पांच में एक कोई अदालत में आता है तो अदालत कैसे इस विवाद का निबटारा करेगी. ऐसे विवादों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है.
पशुपति पारस की तरफ से पेश वकील ने कहा था कि जो पत्र पारस ने लोकसभा अध्यक्ष को दिया था, उस समय पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के लीडर चुने गये थे. कोर्ट ने कहा था कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए. अब यह लड़ाई डबल बेंच तक ले जाने की तैयारी है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan