पटना में छाने लगी क्रिसमस की रंगत, चर्चों में शुरू हुआ आगमन काल, कैरोल सिंगिंग की तैयारियां भी जोरों पर

क्रिसमस से पहले चर्च में रीथ कैंडल्स जलाये जाते हैं, जिसकी शुरुआत अभी से हो चुकी है. क्रिसमस की तैयारियों में अलग-अलग टीम कैरोल सिंगिंग और क्रिसमस सांग की प्रैक्टिस करती हैं. अंतिम सप्ताह में चर्च की गीत टोली ईसाई परिवार में जाकर कैरोल सिंगिंग करती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 5, 2022 12:11 AM

पटना. दिसंबर का महीना शुरू होते ही मसीही समाज के घर-घर में क्रिसमस पर्व की रौनक शुरू हो चुकी है. रविवार मनाने के साथ ही बड़े दिन के संस्कार व कार्यक्रम प्रारंभ हो गये हैं. प्रभु यीशु के जन्म का संदेश देने कैरोल सिंगिंग का ग्रुप घर-घर जाने की तैयारियां भी कर रहा है. ईसाई समुदाय के बीच क्रिसमस को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है.

पहले रविवार को चर्च में चार कैंडल्स सजाए जाते हैं

फादर जोकिम ने बताया कि पहले रविवार को चर्च में चार कैंडल्स सजाए जाते हैं, इसमें से तीन कैंडल परपल रंग तो एक पिंक कलर का होता है. उन्होंने बताया कि परपल कलर प्रार्थना, पश्चाताप, मन परिवर्तन और अगवानी का प्रतीक होता है और पिंक कलर की कैंडल खुशी और आनंद का प्रतीक होती है. हर रविवार को एक-एक कैंडल्स के साथ पहले वाली कैंडल को भी जलाया जाता है. क्रिसमस से पहले ही राजधानी के विभिन्न चर्च में कई प्रकार के आयोजनों की शृंखला शुरू हो जाती है. कहीं पर कैरोल सिंगिंग तो कहीं पर क्रिसमस फेस्टिवल के आयोजन शुरू हो जाते हैं.

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क्रिसमस के पहले के चार सप्ताह को आगमन काल कहा जाता है

फादर जोकिम ने बताया कि ईसाई धर्म परंपरा में क्रिसमस एक बेहद प्रमुख त्यौहार है. यह प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को ही मनाया जाता है. क्रिसमस के पहले के चार सप्ताह को आगमन काल कहा जाता है. इसके अलावा चर्च में रीथ कैंडल्स भी जलाये जाते हैं, जिसकी शुरुआत अभी से हो चुकी है. क्रिसमस की तैयारियों में अलग-अलग टीम कैरोल सिंगिंग और क्रिसमस सांग की प्रैक्टिस करती हैं. अंतिम सप्ताह में चर्च की गीत टोली ईसाई परिवार में जाकर कैरोल सिंगिंग करती है.

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