पटना निगरानी के विशेष जज मनीष द्विवेदी की अदालत ने मंगलवार को भभुआ पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता कार्यालय के तत्कालीन स्थापना लिपिक अरुण कुमार वर्मा को पीसी एक्ट की विभिन्न धाराओं में तीन वर्ष का कारावास की सजा सुनायी. साथ ही 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. बाद में विशेष कोर्ट ने अभियुक्त को दी गयी सजा के विरुद्ध अपील में जाने के लिए औपबंधिक जमानत दे दी. निगरानी ट्रैप के प्रभारी विशेष लोक अभियोजक किशोर कुमार सिंह ने बताया कि यह मामला निगरानी ने वर्ष 2011 में दर्ज किया गया है. निगरानी की टीम ने दो जून, 2011 को 15 हजार रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था.
आइपीएस विवेक कुमार व रिश्तेदारों के खिलाफ विशेष कोर्ट ने लिया संज्ञान
एक अन्य मामले में पटना के निगरानी के विशेष जज मनीष द्विवेदी की अदालत द्वारा अवैध संपत्ति रखने के मामले में आइपीएस अधिकारी विवेक कुमार व रिश्तेदारों के खिलाफ पीसी एक्ट की विभिन्न धाराओं में संज्ञान लिया. विशेष कोर्ट ने निगरानी कांड संख्या 02/13 में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद विशेष लोक अभियोजक आनंदी सिंह ने संज्ञान के बिंदु पर बहस किया.
पांच करोड़ से अधिक संपत्ति रखने का मामला
कोर्ट ने इसके बाद आइपीएस अधिकारी विवेक कुमार के खिलाफ पीसी एक्ट की धारा 13(1) बी में संज्ञान लिया. साथ ही उनके रिश्तेदारों व संबंधियों के खिलाफ भादवि की धारा 109 में संज्ञान लिया. निगरानी ने विवेक कुमार के खिलाफ आय से पांच करोड़ तीन लाख 60 हजार 73 रुपये अधिक संपत्ति रखने के मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था, जिसमें विवेक कुमार की पत्नी निधि कर्णवाल, वेद प्रकाश कर्णवाल, उमारानी कर्णवाल, निखिल कर्णवाल व शैल कर्णवाल को भी आरोपित बनाया है.
कटिहार के तत्कालीन जिला अवर निबंधक जय कुमार हुए निलंबन मुक्त
निगरानी की छापेमारी में आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोपित कटिहार के तत्कालीन जिला अवर निबंधक जय कुमार को निलंबन मुक्त कर दिया गया है. उनकी तैनाती कोशी प्रमंडल, सहरसा के एआइजी कार्यालय में नवसृजित अवर निबंधक पद पर की गयी है. हालांकि उनको फील्ड पोस्टिंग नहीं देते हुए राज्य में स्थापित आसवानियों से इथेनॉल, इएनए के मूवमेंट के मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.