जलवायु अनुकूल खेती से 25% उत्पादकता बढ़ी
राज्य में जलवायु अनुकूल खेती से ओवरऑल 16 से 25 फीसदी तक फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हुई है, जबकि किसानों को 22 से 35 फीसदी तक अधिक मुनाफा हुआ है.
जलवायु अनुकूल खेती से 25% उत्पादकता बढ़ी, किसानों को 35% अधिक मुनाफा
– चावल, गेहूं, मसूर, आलू, चना और सरसों की उत्पादकता में 22 से 28 फीसदी तक की वृद्धि
मनोज कुमार, पटनाराज्य में जलवायु अनुकूल खेती से ओवरऑल 16 से 25 फीसदी तक फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हुई है, जबकि किसानों को 22 से 35 फीसदी तक अधिक मुनाफा हुआ है. कृषि विभाग की जलवायु अनुकूल खेती और गैर जलवायु अनुकूल खेती की तुलनात्मक रिपोर्ट में ये उजागर हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु अनुकूल खेती से चावल, गेहूं, मसूर, आलू, चना और सरसों की उत्पादकता में 22 से 28 फीसदी तक की वृद्धि देखी गयी है. चावल की उत्पादकता 47.3 प्रति हेक्टेयर रही. गैर जलवायु अनुकूल खेती में यह आंकड़ा 41.6 प्रतिशत ही रहा. उत्पादकता में 16.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जलवायु अनुकूल खेती से उपजे चावल का मूल्य 63880 रुपये प्रति हेक्टेयर और गैर जलवायु में 49153 रुपये प्रति हेक्टेयर किसानों को मिले. इसमें 29.96 फीसदी किसानों को अधिक मुनाफा हुआ.
जलवायु अनुकूल गेहूं की खेती में 46.6 फीसदी रही, जबकि गैर जलवायु अनुकूल में गेहूं की उत्पादकता 38.1 प्रतिशत ही रहा. इसमें 22.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जलवायु अनुकूल सरसों की खेती में 28.3, मसूर में 23.1, चना में 27.2 और आलू में 22.6 फीसदी उत्पादकता में वृद्धि हुई है.
धान में रोहतास और आलू में भागलपुर आगेरिपोर्ट के अनुसार जलवायु अनुकूल खेती में रोहतास में सबसे अधिक धान की उत्पादकता देखी गयी. इस तरीके से रोहतास में उत्पादकता 65.5 प्रति हेक्टेयर रही. वैशाली में मक्का की उत्पादकता 55.8, भागलपुर में आलू की उत्पादकता सर्वाधिक 276.3 प्रति हेक्टेयर रही. सारण में अरहर की उत्पादकता 22.6, नालंदा में सोयाबीन की उत्पादकता 17.8 प्रति हेक्टेयर रही. मुंगेर में फिंगर मिलेट्स की उत्पादकता 26.7, भोजपुर में गेहूं की उत्पादकता 61.8 और कटिहार में रबी मक्का की उत्पादकता 130 प्रति हेक्टेयर रही. समस्तीपुर में मसूर और भोजपुर में चना की उत्पादकता सबसे अधिक रही.
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