Sharda Sinha Death: सीएम नीतीश ने जताया शोक, कहा- संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति
Sharda Sinha Death: स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के देहांत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने शोक जताया है.
Sharda Sinha Death: बिहार की लोक गीतों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर ले जाने वाली पद्मश्री और पद्म विभूषण शारदा सिन्हा के निधन से पूरे बिहार में शोक की लहर फैल गयी. उनके निधन पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने गहरा शोक प्रकट किया है.
सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक
शारदा सिन्हा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा एक प्रसिद्ध लोक गायिका थीं. उन्होंने मैथिली, बज्जिका, भोजपुरी के साथ-साथ हिंदी गीत भी गाए थे. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी अपनी मधुर आवाज दी थी. संगीत जगत में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया.
संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति : सीएम नीतीश
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय शारदा सिन्हा द्वारा छठ पर्व के अवसर पर अपनी मधुर आवाज में गाए गए मधुर गीत बिहार और उत्तर प्रदेश सहित देश के सभी भागों में गूंजते हैं. उनके निधन से संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय शारदा सिन्हा की आत्मा की शांति तथा उनके परिजनों, प्रशंसकों एवं अनुयायियों को इस दुख की घड़ी को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.
लालू परिवार ने जताया दुख
छठ गीतों से अलग पहचान बनाने वाली लोक गायिका पद्मश्री, पद्म विभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा के निधन पर राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव समेत राजद परिवार के अन्य नेताओं ने गहरी संवेदना व्यक्त की है. लालू यादव ने कहा कि उनके निधन से बिहार और लोक गायन के क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने छठ गीतों के माध्यम से अलग पहचान बनाई थी.
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शाहनवाज हुसैन ने जताया दुख
भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने दुख जताते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा जी का थोड़ी देर पहले दिल्ली एम्स में निधन हो गया. वे एक अनमोल धरोहर थीं, जिन्होंने मैथिली और भोजपुरी गीतों से अपनी अलग पहचान बनाई. खासकर छठ पर्व के लोकगीतों को घर-घर पहुंचाने का श्रेय उन्हें ही जाता है. उनके गीतों के बिना छठ पर्व अधूरा माना जाता था, ऐसा लगता था मानो शारदा जी की आवाज से ही छठ की शुरुआत हो रही हो. आज हम सब उनकी कमी को शिद्दत से महसूस कर रहे हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और हम सभी को इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें.