पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रदेश में आपदा से मुकाबला के लिए एसडीआरएफ में कर्मियों की संख्या बढ़ायी जाये. गुरुवार को आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक में मुख्यमंत्री ने आपदा की स्थिति में त्वरित व प्रभावी ढंग से राहत व कार्यों के संचालन के लिए स्थायी तौर पर कार्य करने के निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि पुराने कार्यों व अनुभव को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनाकर काम करें. एसडीआरएफ में कर्मियों की संख्या और बढ़ाएं और उनका बेहतर प्रशिक्षण कराएं. सीएम ने पिछले 14 वर्षों में प्रभावित क्षेत्रों के आकलन के आधार पर स्थल चयन कर रिस्पांस फैसिलिटी कम ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना करने को कहा.
बैठक में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बाढ़ के दौरान चलायी जानेवाली सामुदायिक किचन मॉडल की प्रशंसा की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वज्रपात से होनेवाली क्षति को कम करने के लिए कार्य करें. वज्रपात को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाये. बच्चे व बच्चियों को सरल भाषा में इसके बारे में जानकारी दें. उन्होंने कहा कि उन्नयन बिहार के पाठ्यक्रम में वज्रपात से सुरक्षा से संबंधित जानकारी को भी शामिल करें.
इसके पहले मुख्यमंत्री के समक्ष 01 अणे मार्ग स्थित संकल्प में आपदा प्रबंधन विभाग एवं बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने वज्रपात के कारण होनेवाली मानव क्षति को कम करने के लिए तैयार कार्ययोजना की प्रस्तुति दी. आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों के लिए बनायी गयी कार्ययोजना के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष उदयकांत मिश्रा ने दो वर्षों में वज्रपात से हुई मृत्यु की जिलावार मासिक जानकारी दी.
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बैठक में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष उदयकांत मिश्र, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य पीएन राय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य मनीष कुमार वर्मा, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार एवं मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल सिंह उपस्थित थे.