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नीतीश कुमार की यात्राएं-3 : गांव को बताया था नये बिहार का माडल, पहली प्राथमिकता में था ये काम

Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. यह उनकी पहली यात्रा थी. यात्रा के दौरान उन्होंने प्रदेश की जो हालत देखी, उसके आधार पर उन्होंने लोगों के समक्ष सरकार बनने के बाद विकास का खांका खीचा था. लोगों ने उन्हें उम्मीदों का नेता बताया. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की तीसरी कड़ी..

Nitish Kumar Yatra: पटना. न्याय यात्रा के दौरान नीतीश कुमार ने चंपारण में भोजपुरी, मधुबनी व दरभंगा में मैथिली में दिया भाषण, गांधी मैदान में लालू प्रसाद को खुली बहस की चुनौती. नीतीश कुमार मधुबनी में सिर पर पाग चढते ही मैथिली में बोल पड़े, मिथिला की गौरवशाली धरती पर हम सब आदमी के अभिनंदन करैत छी. दोसरा बार जब हम आयेब, पूरा बात मैथिली में होएत. आब हिंदी में बाजै दियौ. नीतीश कुमार का मधुबनी में पाग पहना कर स्वागत किया गया. बगहा में उनका स्वागत स्वर्ण मुकुट पहना किया गया था.

बिहारी बनने की सबसे की अपील

यात्रा आगे बढ़ती गयी, लोग जुड़ते गये. गन्ना इलाके में गन्न्ना कीमतों को लेकर नीतीश कुमार ने अपनी बात रखी. यूपी से पांच रुपये अधिक प्रति क्वींटल देने का वायदा किया. नदी जोड़ अभियान की रूपरेखा रखी, गंडक और कोसी को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू करने की मांग रखी. लोगों से एक बार बिहारी बनने का नारा दिया. कहा था, हम ऐसे बिहार का निर्माण करना चाहते हैं जिसमें दूसरे राज्य से लोग नौकरी की तलाश में यहां आये. नये बिहार का माडल होगा गांव. ऐसा गांव जो समृद्ध भी होगा और सक्षम भी. गांवों को सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी करनी होगी.यही 74 आंदोलन की मूल भवना थी और अब न्याय यात्रा का मकसद भी.

पारंपरिक लघु उद्योग को बढ़ावा देने का किया वादा

न्याय यात्रा के दौरान नीतीश कुमार ने पूर्णिया की सभा में कहा था कि उनके नेतृत्च में सरकार बनी तो बिहार का चौतरफा विकास होगा. विकास के साथ विधि व्यवस्था में सुधार उनकी पहली प्राथमिकता होगी. अल्पसंख्यकों की बुनियादी समस्याओं का समाधान किया जायेगा. जनता परिवर्तन का मत बना चुकी है. बिहार को बाजार बना दिया गया है. हमारी सरकार बनी तो पारंपरिक लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जायेगा. युवाओं से समर्थन का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें एक मौका दें, बिहार की तसवीर बदल देंगे. बेरोजगारी, पलायन, सिंचाई, रोजी रोटी और सड़क की समस्याओं का स्थायी निदान खोजा जायेगा.

….और जब माइल स्टोन पर घंटों में दूरी लिखने की दी सलाह

न्याय यात्रा के दौरान नीतीश कुमार ने धमदाहा में सड़कों के खस्ताहाल को मुद्दा बनाया. नीतीश ने कहा, पूर्णिया से बनमनखी की दूरी करीब चालीस किलोमीटर होती है. आम तौर पर इसे तय करने में एक घंटे का समय लगेगा. पर मौजूदा स्थिति में इस दूरी को तय करने में साढ़े तीन घंटा लग रहा है. इसलिए अब माइल स्टोन पर लिखा जाना चाहिये पूर्णिया से बनमनखी की दूरी साढ़े तीन घंटे. मूसलधार वर्षा, सभा स्थल पर घुटने भर जमा पानी के बावजूद भारी भीड़. कोई तुरही बजा रहा था तो कोई माला लिये दौड़ रहा था. दौड़ने वालों में 75 आंदोलन के सिपाही भी थे.

Also Read: नीतीश कुमार की यात्राएं-2 : गढ्ढे में होती थी सड़क, घंटे में मापी जाती थी दूरियां, एनएच पर भी चलने से घबराते थे ड्राइवर

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