पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को अपनी सरकार की कथित तौर पर ‘मूर्खतापूर्ण आलोचना’ पर नाराजगी जताई और कहा कि जिन लोगों को उनकी उपलब्धि बेहतर तरीके से समझना है उन्हें उनके सत्ता में आने से पहले की राज्य की हालत को देखना चाहिए जो बेहद दयनीय रही.
सीएम नीतीश राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियों को बता रहे थे. वहीं साथ-साथ शिक्षकों की बहाली और पहले ही सेवा में मौजूद कर्मियों को कर्मचारी भविष्य निधि योजना (ईपीएफ) से जोड़ने जैसे लोकप्रिय कदमों के बारे में भी सीएम ने अपने संबोधन में जानकारी दी.
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वर्तमान कार्यकाल में मुख्यमंत्री का स्वतंत्रता दिवस पर यह आखिरी संबोधन था.जिसमें उन्होंने अपने करीब एक घंटे के संबोधन में अंत में कहा कि ‘‘घर में बैठक कर कुछ भी ट्वीट कर देना फैशन हो गया है, वह भी बिना जाने कि क्या उपलब्धि हासिल की गई है.” मुख्यमंत्री की नाराजगी कोविड-19 महामारी से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामी और सामाजिक आर्थिक संकट के खिलाफ सोशल मीडिया पर चल रहे अभियान की पृष्ठभूमि में आई है.
दरअसल कोरोना महामारी से फैली स्थिति के बीच बिहार में विपक्ष के नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. जिस क्रम में सरकार की कई कथित खामियों पर उनका प्रहार देखा जाता रहा है.नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत कई अन्य नेता व विपक्ष के प्रवक्ता लगातार सरकार को निशाने पर लेकर ट्वीट के माध्यम से विरोध जताते रहे है.
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लोगों को, खासतौर पर हमारी युवा पीढ़ी को, यह जानना चाहिए कि 15 वर्ष पहले हालात कैसे थे. मैं अपने अधिकारियों से भी लगातार कहता रहता हूं. गड्ढों की वजह से शायद ही सड़क दिखाई देती थी. बिजली आपूर्ति की दयनीय स्थिति थी. हमने उसे बदला है.”
बता दें कि इस साल 2020 में स्वतंत्रता दिवस समारोह कोविड-19 की वजह से काफी सादगी के साथ मना. पटना के गांधी मैदान में आमंत्रित किए गए चुनिंदा अतिथियों के बीच सीएम नीतीश कुमार ने ध्वजारोहन किया.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya