Nitish Kumar Yatra: बिहार की बागडोर संभालने के पहले नीतीश कुमार न्याय यात्रा के दौरान प्रदेश की खस्ताहाली को जो नजारा देखा, तो उसी समय उनके मन मिजाज में सरकार बनने की स्थिति में कामकाज का माडल तैयार होने लगा था. जब वे यात्रा के दौरान मुजफ्फरपुर पहुंचे तो कहा, नये बिहार के निर्माण पर संशय मत करिये. बिहारीपन को जगने दीजिये. फिर देखिये कैसा होता है नव निर्माण. बिहारियों में मेधा है. चांद पर पर अवसर दीजिये, परीक्षा लीजिये. वे पास हो जायेंगे. अपनी मेधा से चांद को भी खुशहाल बना देंगे. बिहारी होना मजाक नहीं, गर्व की बात होगी. असल मुद्दा है नये बिहार का निर्माण.
दृष्टि भी साफ, मैसेज भी क्लीयर
नीतीश कुमार ने कहा था कि तीन हजार करोड़ रुपया बिहार के बच्चों की पढ़ाई पर दूसरे राज्यों में जा रहा. इतनी ही रकम स्वास्थ्य मद में जा रहा. छह हजार करोड़ हुआ. यह पैसा बिहार के निर्माण में लगेगा. दूसरे राज्यों के लोग यहां निवेश करे, इसके लिए जरूरी है कानून का राज. हमारी पहली प्राथमिकता है बिहार में कानून व्यवस्था का राज हो. इसे हम हर हाल में बहाल करेंगे. लोक शक्ति को जगाना है. भूमि सुधार के क्षेत्र में काम करेंगे. बिहार के सामने आज कोई रास्ता नहीं है. इस बार परिवर्तन का फैसला लेना ही होगा. जब बचने का कोई उपाय नहीं होता तो आदमी जूझ पड़ता है और समस्या पर काबू पा लेता है. दृष्टि भी साफ है, मैसेज भी क्लीयर है. मुझे लग रहा है कि इस बार 1977 जैसा चुनाव परिणाम आयेगा.
चंपारण में दिखी थी सख्त प्रशासक की छवि
चंपारण की धरती से जब नीतीश कुमार ने अपराधियों को ललकारा तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा इलाका गूंज उठा.
न्याय यात्रा के दौरान उन्होनें तकरीबन अपनी हर सभा में लोगों से कहा कि इस बार जब चुनाव होंगे तो आप भ्रमित मत होइयेगा. जाति धर्म से उपर उठ कर बिहारी बनिये और सिर्फ विकास व गुड गवर्नेंस के नाम पर वोट करियेगा. उन्होंने अपनी यात्रा में लोगों से कहा कि इस बार आर पार की लड़ाइ होगी. उसी वक्त उनके भाषणों से एक नये तेवर वाले शासकीय शख्स के उदय का संभावना दिखने लगी थी.