नीतीश की यात्राएं-8 : गांवों में नजर आने लगा था बदलाव, नि:संदेह आंखों को सुकून देने वाला था वो दृश्य
Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. विकास यात्रा उनकी दूसरी यात्रा थी. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की आठवीं कड़ी..
Nitish Kumar Yatra: बगहा में साइकिल पर स्कूल से घर लौटती लड़कियों का काफिला अद्भुत दृश्य बना रहा था. बगहा के मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खूब तालियां मिली. मैदान के पहले बाजार की एक छत पर हम तीन-चार साथी बैठे मुख्यमंत्री के आने का इंतजार कर रहे थे. शाम का वक्त होने को था, स्कूलों में छुट्टियां हुई थी. सामने की मुख्य सड़क पर एक लय से तकरीबन पचासों लड़कियां साइकिल पर सवार हो कर अपने घरों को लौट रही थी. राजधानी पटना से सैकड़ों किलोमीटर दूर इस कस्बाई शहर में लड़कियों का हुजूम साइकिल चलाकर घर लौटने का यह दृश्य नि:संदेह आंखों को सुकून देने वाला था और आने वाले कल का शुभ संकेत भी था.
महिलाओं के लिए की कई योजनाओं की चर्चा
मैदान में सभा आरंभ हुई. तबके स्वास्थ्य मंत्री नंदकिशोर यादव और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अपनी बातें खत्म की. मोदी ने कहा था, पहले यहां अपहरण का बोलबाला था. अब चीनी मिलें खुल रही है. नीतीश कुमार ने अपनी बात महिलाओं को पंचायतों में आरक्षण देने, लड़कियों को स्कूली शिक्षा में आगे बढ़ाने से लेकर अपने चार साल के कार्यों की जब चर्चा शुरू की तो पूरा मैदान और मैदान के बाहर जमा भीड़ की तालियों से पूरा इलाका गूंज उठा. इसके ठीक पहले जब वे गोपालगंज पहुंचे थे तो वहां गोपालगंज से बेतिया के लिए गंडक नदी पर तीन अरब से अधिक राशि की लागत से बनने वाले महासेतु के निर्माण का शिलान्यास किया.
तजुर्बा से कष्ठ का एहसास
मुख्यमंत्री ने कहा था कि मैं सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुआ. अपने टेंट में रात बिताने की बातों को भी उन्होंने लोगों को बतायी. नीतीश कुमार ने कहा, नि:संदेह टेंट में रात बिताना कष्टकारक है, पर इसका मुझे तजुर्बा है. इसके पहले छात्र जीवन में सात दिनों तक टेंट में रहा था. वह भी कष्टप्रद था. भुज में आये भूकंप के दौरान भी रातें कैंप में गुजारी थी. बेशक यह कष्टप्रद था, लेकिन मैं सोने के चम्मच लेकर पैदा नहीं हुआ इसलिए कष्ट की कम ही अनुभूति होगी. यह भी कहा कि टेंट में इसलिए रहने की ठानी है क्योंकि किसी पर वह बोझ नहीं बन सकें.
शिक्षा को बनाया जब पहला फोकस
आज से करीब 15 साल पहले जब 2009 में मुख्यमंत्री विकास यात्रा में बगहा पहुंचे थे, उन्होंने वहीं शिक्षा को पहला फोकस करने की घोषणा की थी. बगहा में कहा था कि पहला डिग्री कॉलेज बगहा अनुमंडल में ही खुलेगा और हुआ भी ऐसा ही. नीतीश कुमार ने कहा था कि सरकार अपने धन से अनुमंडलों में डिग्री कॉलेज खोलेगी. इसके लिए पॉलिसी बनायी जा रही है. उन्होंने उसी समय 2015 तक एक विकसित बिहार की बात कही थी. सीएम ने उस दिन 126 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया. आज बिहार में वर्तमान में सभी अनुमंडलों में डिग्री कॉलेज खुल गए है.
Also Read : नीतीश की यात्राएं-4 : विकास का नीतीश मॉडल 2005 में ही था तैयार, ऐसे बना था सुशासन का फर्मूला