कोचिंग संचालकों को प्रोस्पेक्टस में भी देनी होगी शिक्षण शुल्क की जानकारी
संवाददाता, पटना
जिले में संचालित कोचिंग संचालकों को सभी मानकों और शर्तों को पूरा करने के बाद ही उनका रजिस्ट्रेशन किया जायेगा. उन्हीं कोचिंग संस्थानों का पंजीयन स्वीकृत किया जायेगा, जो कोचिंग नियमावली का पालन करते हुए सभी शर्तों को पूरा करेंगे. सभी मानकों और शर्तों को पूरा करने के बाद ही कोचिंग संस्थानों का तीन साल के लिए ही निबंधन किया जायेगा. तीन साल पूरे होने के बाद कोचिंग संचालकों को रीन्यूअल के लिए आवेदन देना होगा. शिक्षा विभाग की ओर से तैयार की जा रही नियामवली में बताया गया है कि कोचिंग संस्थान एक बैच में सौ से अधिक विद्यार्थियों को नहीं पढ़ायेंगे. कोचिंग संचालकों को निबंधन के लिए दिये जाने वाले आवेदन में निर्धारित शुल्क, कोचिंग संस्थान के विभिन्न पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम पूर्ण करने की अवधि के साथ शिक्षण शुल्क का भी प्रोस्पेक्टस में जिक्र करना होगा. आवेदन में पाठ्यक्रम के अधीन प्रोस्पेक्टस में व्याख्यान, शिक्षकों की संख्या, ग्रुप डिस्कशन का जिक्र होना चाहिए. कोचिंग में पढ़ाने वाले शिक्षकों की न्यूनतम स्नातक, गैर सरकारी शिक्षक, सेवानिवृत्त शिक्षकों द्वारा अध्यापन कार्य का उल्लेख करना है. पाठ्यक्रम कितने दिन में पूरे किये जायेंगे, उसी के अनुसार शुल्क निर्धारण करना होगा.
अग्निशमन विभाग से एनओसी लेना आवश्यक
कोचिंग संचालकों को रजिस्ट्रेशन के लिए अग्निशमन विभाग से एनओसी, नगर निगम से भवन का सत्यापन संबंधित कागजात जमा करना होगा. इसके अलावा वर्ग कक्ष का न्यूनतम क्षेत्र प्रति छात्र एक वर्गमीटर होना चाहिए. साथ ही समुचित बेंच-डेस्क, कमरे या भवन में प्रर्याप्त प्रकाशीय व्यवस्था, शौचालय की व्यवस्था, लाइब्रेरी, जल निकासी और स्वच्छता की सुविधा और अग्निशमन की व्यवस्था होना अनिवार्य है. इन सुविधाओं का प्रमाण देने के बाद ही कोचिंग संचालक रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकेंगे.
किसी कोचिंग में नहीं थी अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था
कोचिंग के निरीक्षण के लिए जिला स्तर पर गठित की गयी जांच टीम के एक सदस्य ने बताया कि बाजार समिति, भिखना पहाड़ी, मुसल्लहपुर हाट, कंकड़बाग, महेंद्रू आदि जगहों पर जितने भी कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे थे, किसी के पास अग्निशमन विभाग का एनओसी नहीं मिला और न ही आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था पायी गयी है. इसके अलावा जल निकासी के लिए भी कोई प्रबंध नहीं मिला है. अधिकतर कोचिंग संस्थानों का नगर निगम से भवन का सत्यापन नहीं हुआ था. जिले के सभी कोचिंग संचालकों को एक माह के अंदर इन्फ्रास्ट्रक्चर ठीक करने का वक्त दिया गया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि नियमावली के अनुरूप कोचिंग संचालक सभी शर्तों को पूरा करेंगे तभी उन्हें पंजीयन की स्वीकृति दी जायेगी.
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