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बिहार में तीन साल के अंदर सभी पैक्स का पूरा होगा कंप्यूटरीकरण, सरकार की सुविधाओं से वंचित न होंगे किसान

पैक्स के बहीखातों में गड़बड़ी रोकने, रिकाॅर्ड डिजिटाल्ड करने के साथ ही पैक्सों से जुड़ी सभी सेवाओं को ऑनलाइन करने के लिए राज्य भर में पैक्स को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है.

बिहार की 8463 पैक्स जल्दी ही सहकारी बैंकों के एजेंट के रूप में काम करने लगेंगी. इसके लिए छह हजार पैक्स का ऑडिट हो चुका है. केंद्रीय सहकारिता सचिव ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि इसी वित्तीय वर्ष में ऑडिट का काम पूरा कर ले, ताकि कंप्यूटरीकरण को लेकर नयी योजना को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके. हर पैक्स के कंप्यूटराइजेशन पर 4.35 लाख रुपये खर्च किये जाने हैं.

पैक्स के बहीखातों में गड़बड़ी रोकने, रिकाॅर्ड डिजिटाल्ड करने के साथ ही पैक्सों से जुड़ी सभी सेवाओं को ऑनलाइन करने के लिए राज्य भर में पैक्स को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है. कुल खर्च में केंद्र-राज्य की भागेदारी का अनुपात 60:40 फीसदी है. तीन साल में इस योजना को पूरा किया जाना है. इससे आय व्यय ऋण सब ऑनलाइन हो जायेगा.

एक पैक्स दूसरे पैक्स से ऑनलाइन जुड़ने की प्रक्रिया में भले ही समय लगे लेकिन सभी सहकारिता बैंक पैक्स से जुड़ जायेंगे. जिला सहकारी बैंक के लिए उस जिले की सभी पैक्स एक तरह से एजेंट के रूप में काम करने लगेंगी. सहकारी संस्थाओं को 5% राशि लगाने की शर्तको हटा दिया गया है.

अभी पैक्स का रिकाॅर्ड अपडेट नहीं रहता. इससे ऑडिट रुक जाता है और इससे उस पैक्स से जुड़े किसान कई सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. पहले चरण में एनआइसी ने पटना और नालंदा जिले की करीब 500 पैक्सों के रिकाॅर्ड को कंप्यूटरीकृत कर दिया है. इसमें नालंदा की पैक्सों की संख्या 249 है.

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