गोपालगंज के डुमरिया में गंडक नदी पर नये सेतु के निर्माण का सपना अब साकार हो जायेगा, क्योंकि अधूरे सेतु का निर्माण कार्य तेजी से शुरू किया गया है. सेतु का निर्माण गणेश राम डोकानिया नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी करा रही है. सेतु का निर्माण 137 करोड़ में होना है. फिलहाल धंसे पाये तक एप्रोच रोड और अन्य आवश्यक कार्य तेजी से कराये जा रहे हैं.
बता दें कि डुमरिया में गंडक नदी पर बनने वाले नये सेतु का निर्माण कार्य 2011 से बंद था. नये सेतु के निर्माण को लेकर एनएचएआइ इससे पूर्व चार बार टेंडर निकाल चुका है, लेकिन कोई संवेदक तैयार नहीं हुआ. नये पुल के निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 18 माह की समयसीमा तय की गयी है. कंपनी के कर्मियों के अनुसार वर्ष 2023 के अंत तक सेतु का निर्माण कार्य पूरा हो जाने की संभावना है. हो रहे निर्माण कार्य से गोपालगंज ही नहीं, चंपारण के लोगों में भी उत्साह है.
ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत गंडक नदी से गुजरने वाली एनएच 27 के लिए गंडक नदी पर नये सेतु का निर्माण वर्ष 2008 में शुरू हुआ था. तब सेतु निर्माण को लेकर 88 करोड़ की राशि तय थी. वर्ष 2011 में निर्माणाधीन सेतु का एक पाया अचानक धंस गया. उसके बाद निर्माण कंपनी पीसीएल काम छोड़ कर फरार हो गयी. तब से यह काम लटका हुआ है.
गंडक नदी पर बने डुमरिया सेतु से एनएच 27 गुजरता है तो दिल्ली से गुवाहाटी को जोड़ता है. डुमरिया में बना पुराना सेतु दो लेन का है और एनएच 27 फोरलेन का हो चुका है. 1974 में बने डुमरिया सेतु एक दशक से जर्जर है. हर साल 10 से 12 बड़े हादसे होते हैं. कई जगह सेतु के पाये में दरार पड़ चुके हैं. स्थानीय प्रशासन भी सेतु के कंपन करने की जानकारी वरीय पदाधिकारियों को दे चुके हैं. ऐसे में हर पल हादसे का भय बना रहता है. प्रति मिनट इस सेतु से आठ से 10 वाहने गुजरते हैं, जिसके कारण हर रोज सेतु पर जाम लगता है. ऐसे में हादसे में कमी और जाम की समस्या का निदान नये सेतु के निर्माण से ही हो पायेगा. ऐसे में डुमरिया में नये सेतु का निर्माण अति आवश्यक था.
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2007 में ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर फोरलेन परियोजना की हुई शुरुआत
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2008 में शुरू हुआ था नये सेतु का निर्माण कार्य
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2011 में सेतु का पाया धंसने से काम हुआ था बंद
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2011 में अधूरा काम छोड़ निर्माण कंपनी पीसीएल फरार
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डुमरिया सेतु के लिए एनएचएआइ पूर्व में चार बार निकाल चुका था टेंडर, कोई कंपनी नहीं हुई थी तैयार. पांचवीं टेंडर के बाद शुरू हुआ काम
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300 मीटर में होगा नये सिरे से कार्य
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धंसे पाये के पहले 500 मीटर में बकाये कार्य को किया जायेगा पूरा
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800 मीटर में होना है नये सेतु का निर्माण
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बनने हैं एप्रोच और इंस्पेक्सन रोड
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1974 में पूरा हुआ था पुराने सेतु का निर्माण
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एक दशक से पुराना सेतु बना है जर्जर
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2016 में सीओ ने पुराने सेतु के स्विंग करने की भेजी थी रिपोर्ट
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सेतु की 65 फीसदी रेलिंग है गायब
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हर रोज लगता है जाम
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प्रतिदिन गुजरते हैं 12 से 16 हजार वाहन
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हो चुके हैं कई हादसे