बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में मंगलवार को बजट पेश किया गया. बजट में कहा गया कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए राज्य में 12 नये सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों का निर्माण कराया जा रहा है. साथ ही राज्य के 21 जिला अस्पतालों को मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है. सदर अस्पतालों को मॉडल बनाने के लिए बजट में 580 करोड़ का प्रावधान किया गया है. 19 जिला अस्पतालों में विभिन्न स्तर पर निर्माण कार्य जारी है जबकि शेष दो जिला अस्पतालों का निर्माण कार्य आरंभ किया जा रहा है.
बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में पूर्णिया, छपरा, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, मधुबनी, वैशाली, सीवान, जमुई और सीतामढ़ी में निर्माण कार्य कराया जा रहा है जबकि तीन सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों का भोजपुर, बक्सर और बेगूसराय में निर्माण के लिए कार्रवाई की जा रही है.
वित्तमंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंगलवार को विधानसभा में रखे गये वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों की चर्चा करते हुए बताया कि आइजीआइएमएस, पटना में 1200 बेड का अतिरिक्त अस्पताल भवन 513 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है.
विजय कुमार चौधरी ने बताया कि राज्य में चिकित्सा शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है. आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में इसके भवन निर्माण के लिए जगह उपलब्ध करायी गयी है. पीएमसीएच को विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने के लिए 250 नामांकन क्षमता विकसित की जा रही है और अस्पताल में 5462 बेड़ तैयार करने के लिए 5540 करोड़ के प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी गयी है.
राज्य में मानसिक आरोग्यशाला की कमी को देखते हुए कोईलवर में 272 बेड का अत्याधुनिक अस्पताल को 16 सितंबर 2022 को क्रियाशील कर दिया गया है. डेंटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राजकीय डेंटल कॉलेज, रहुई का निर्माण कर 12 दिसंबर 2022 को क्रियाशील किया गया है.
राज्य के 243 विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक एपीएचसी, पांच हेल्थ सब सेंटर और 122 सीएचसी के निर्माण के लिए 1754.99 करोड़ की योजना की स्वीकृति दी गयी है. राज्य के विभिन्न अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए 122 पीएसए प्लांट की स्थापना कर क्रियाशील किया गया है.
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टेलीमेडिसिन से पीएचसी, सीएचसी, अनुमंडलीय अस्पताल और जिला अस्पतालों को जोड़कर गांव में ही बेहतर इलाज की सुविधा दी जा रही है. अभी तक 25 लाख से अधिक लोगों को परामर्श दिया गया है. जन्मजात हृदय में छेद वाले बच्चों के इलाज के लिए बाल हृदय योजना आरंभ की गयी है. इसके तहत 562 बच्चों के हर्ट की सर्जरी कर इलाज किया गया.