पटना में हर महीने 7 करोड़ लीटर बोतलबंद पानी की खपत, बिना लाइसेंस चल रहे 600 से ज्यादा पैकेज्ड पानी के प्लांट
कारोबारियों की मानें तो सूबे में कुल बोतल बंद पानी की खपत का 15 फीसदी पानी गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश से आ रहा है. गुजरात से 200-500 एमएल की बोतलबंद पानी अधिक आ रही है, वहां लागत भी अन्य राज्यों की तुलना में सस्ती है.
सुबोध कुमार नंदन, पटना: राजधानी पटना में लोग हर महीने सात करोड़ लीटर से अधिक बोतलबंद पानी यानी पैकेज्ड वाटर खपत कर रहे हैं. वहीं, पिछले दो साल में लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. काेरोना के पहले बिहार में 125 से अधिक कंपनियां थीं, लेकिन अब कंपनियों की संख्या घटकर 96 हो गयी है. इसके बावजूद बोतल बंद पानी की मांग बढ़ी है. कोरोना महामारी के बाद हेल्थ के प्रति सजगता के कारण शोरूम, ऑफिस, दुकान, होटलों- रेस्टूरेंटों के साथ-साथ अब घरों में भी पैकेज्ड वाटर की खपत बढ़ती जा रही है. इसी का फायदा उठाते हुए कई लोग मालामाल हो रहे हैं.
600 प्लांट बिना लाइसेंस के संचालित हैं
बिहार में छोटी-बड़ी कंपनियां सहित 96 पैकेज्ड वाटर के प्लांट हैं, जिनके पास भारतीय मानक ब्यूरो का लाइसेंस है. जबकि, जानकारों के अनुसार सूबे में लगभग 600 प्लांट बिना लाइसेंस के संचालित हैं. ये लोगों के स्वास्थ्य से खुले आम खिलवाड़ कर रहे हैं. शुद्ध पेयजल के लिए निर्धारित पैरामीटर्स का पालन नहीं कर रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार अकेले पटना जिले में 30 छोटी- बड़ी कंपनियों के पैकेज्ड वाटर के प्लांट है. ये कंपनियां 250, 500, एक लीटर, दो लीटर, पांच लीटर और बीस लीटर का पैकेज्ड वाटर सप्लाइ बाजार में करती है.
गुजरात, उत्तर प्रदेश और हिमाचल से भी आ रहा पानी
कारोबारियों की मानें तो सूबे में कुल बोतल बंद पानी की खपत का 15 फीसदी पानी गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश से आ रहा है. गुजरात से 200-500 एमएल की बोतलबंद पानी अधिक आ रही है, वहां लागत भी अन्य राज्यों की तुलना में सस्ती है. हिमाचल प्रदेश से अच्छी गुणवत्ता के कारण पानी मंगवाया जा रहा है.
राजधानी में 300 पानी बेचने वाले
राजधानी में लगभग 300 पानी बेचने वाले हैं. इनमें गिनती के पानी कारोबारियों को छोड़ दें, तो बाकी में गड़बड़ी है. यह कारोबारी केवल पानी बेच रहे हैं. लेकिन ब्रांड और रजिस्ट्रेशन नहीं है. इसलिए पानी की शुद्धता में खिलवाड़ तो हो ही रही है, सरकारी राजस्व का भी नुकसान हो रहा है. सरकारी दस्तावेज में कारोबार रजिस्टर्ड नहीं होने से जीएसटी और दूसरे टैक्स का भुगतान नहीं हो रहा है. इनमें ज्यादातर ने बीआइएस से लाइसेंस नहीं लिया है और ब्रांड भी रजिस्टर्ड नहीं कराया है.
समय-समय पर होती है कार्रवाई
भारतीय मानक ब्यूरो के पटना कार्यालय के प्रमुख एसके गुप्ता ने बताया कि
नकली आइएसआइ मार्क वाले बोतलबंद पानी बिकने की सूचना मिलने पर भारतीय मानक ब्यूरो समय- समय पर कार्रवाई करता है. पिछले दो साल में बोतलबंद पानी की मांग बढ़ी है और कई कंपनियां मार्केट में आयी हैं. वहीं बिना मार्क वाले बोतलबंद पानी के खिलाफ निगरानी खाद्य विभाग करता है.
किन जिलों में कितने लाइसेंसी प्लांट
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पटना- 30
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वैशाली- 08
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नालंदा- 01
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नवादा- 02
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जमुई- 01
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लखीसराय – 03
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भोजपुर- 01
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सारण- 01
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गोपालगंज -0 1
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सीवान- 01
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पश्चिम चंपारण – 02
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पूर्वी चंपारण – 02
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मुजफ्फरपुर – 03
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समस्तीपुर – 01
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सीतामढ़ी – 01
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गया – 01
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कैमूर – 02
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रोहतास – 07
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मुंगेर -02
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शेखपुरा – 01
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मधुबनी -02
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पूर्णिया – 06
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अररिया – 01
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सुपौल -01
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बेगूसराय – 03
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भागलपुर- 09
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कटिहार – 01
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खगड़िया- 02