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कर्मियों के एनपीएस खाते में नहीं जमा किया अंशदान

राज्य के परंपरागत विश्वविद्यालयों ने न्यू पेंशन स्कीम को प्रभावी होने के सालों बाद भी गंभीरता से नहीं लिया है.

राजदेव पांडेय ,पटना

राज्य के परंपरागत विश्वविद्यालयों ने न्यू पेंशन स्कीम को प्रभावी होने के सालों बाद भी गंभीरता से नहीं लिया है. ऐसे में उनके शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के पेंशन लाभ मिलने में कठिनाई पैदा हो सकती है. हालात यह हैं कि राज्य के परंपरागत विश्वविद्यालयों में सितंबर 2005 के बाद से अभी तक 4977 कर्मचारियों ने योगदान दिया है. इनमें से 3611 कर्मचारियों के प्रान (परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर) जेनेरेट होने के बाद एनपीएस से जोड़ा गया है. अभी भी 1616 कर्मचारियों को एनपीएस से जोड़ा जोना है. हैरत की बात है कि एनपीएस से जोड़ने के बाद भी छह परंपरागत विश्वविद्यालयों ने इस योजना के तहत अपने कर्मचारियों के एनपीएस खाते में एक भी पैसे का योगदान जमा नहीं किया है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुंंगेर विश्वविद्यालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ने शुरू से लेकर 30 सितंबर, 2024 तक एनपीएस के तहत एक रुपये का योगदान नहीं दिया है.

कर्मचारियों के पेंशन लाभ में आ सकती है दिक्कत

आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार मगध विश्वविद्यालय ने अभी तक 9.64 करोड़, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने 3.65 करोड़, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने 6.43 करोड़, जेपीयू ने 4.72 करोड़, पटना विश्वविद्यालय ने 10.98 करोड़, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय 9.11 करोड़ और मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय ने 2.40 करोड़ रुपये का योगदान जमा किया है. इस तरह इन सात विश्वविद्यालयों के खाते में कुल 46.95 करोड़ की राशि जमा की गयी है. कती है दिक्कत

एनपीएस के प्रति अधिकतर विश्वविद्यालय गंभीर नहीं

विश्वविद्यालयों से मिली जानकारी के अनुसार सितंबर 2005 के बाद से 30 सितंबर, 2024 तक एनपीएस के तहत मगध विश्वविद्यालय में 686 , एलएनएमयू में 764, पाटलिपुत्र विवि में 533, जेपी विवि में 448, पटना विवि में 346 , टीएमबीयू में 378, एमएमएचएपीयू में 59, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विवि में 737, मुंगेर विवि में 203 , बीएनएमयू में 240 , पूर्णिया विवि में 183 ,वीकेएसयू में 400 और केएसडीएसयू में 250 कर्मचारियों ने योगदान दिया है. इस तरह अब तक कुल 4977 कर्मचारियों को जोड़ा गया है. हालांकि, इनमें से प्रान नंबर 3611 के ही जेनेरेट हो सके हैं. यहां बता दें कि इनमें अपने कर्मचारियों के हिस्से में योगदान देने वाले विश्वविद्यालय केवल सात ही हैं.

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