बिहार और झारखंड का बंटवारा हुए 21 साल हो गये, लेकिन अभी तक दोनों राज्यों के बीच पेंशनरों को देने वाली राशि के बंटवारा का मामला नहीं सुलझा है. बिहार ने झारखंड पर चार हजार 100 करोड़ रुपये का बकाया का दावा कर रखा है. यह राशि बिहार को अब तक नहीं मिली है.
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को केंद्र की मध्यस्थता से इस मसले का हल निकालने को कह रखा है. सोमवार को मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में झारखंड के मुख्य सचिव और केंद्र सरकार के वित्त एवं गृह विभाग के आला अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक हुई.
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दोनों राज्यों के एजी (महालेखाकार) फिर से इसकी पड़ताल करेंगे कि पेंशनरों की संख्या कितनी है और बिहार को इस आधार पर कितने रुपये मिलने चाहिए. एक महीने बाद इस मसले को लेकर फिर से बैठक होगी. इस मौके पर वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने बिहार की तरफ से दावेदारी प्रस्तुत की और राज्य को उसका बकाया दिलाने के लिए केंद्र से आग्रह किया.
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15 नवंबर, 2000 से पहले जो कर्मी वर्तमान में झारखंड के इलाके से (पूर्व में संयुक्त बिहार) रिटायर्ड हुए थे, उनकी पेंशन बिहार और झारखंड सरकार दोनों को संयुक्त रूप से देनी थी. पेंशन राशि में दो हिस्सा बिहार और एक हिस्सा झारखंड को देना था, परंतु झारखंड ने इस मद में कोई राशि अब तक नहीं दी. अब यह बकाया बढ़ कर चार हजार 100 करोड़ रुपये हो गया है. 15 नवंबर , 2000 के बाद रिटायर्ड हुए सरकारी कर्मियों के लिए यह लागू नहीं होता है.