पटना : पटना जिले में एक जून से 30 जून के बीच मात्र 461 केस आये थे. वहीं, 30 जून से पांच जुलाई के बीच सिर्फ पांच दिनों में 290 केस आये हैं. यह स्थिति तब है जब आरएमआरआइ, पीएमसीएच और एम्स में इस बीच दो से तीन दिनों तक जांच बंद रही. अगर यहां इस दौरान जांच बंद नहीं होती, तो ये आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हो सकते थे. आंकड़े बताते हैं कि पटना में कोरोना बेहद तेजी से बढ़ रहा है.
हाल के दिनों में पटना शहरी क्षेत्र में पटना सिटी में सबसे ज्यादा कोरोना केस मिले हैं. यह इलाका कोरोना का सेंटर बना हुआ है. इसके साथ ही शहरी क्षेत्र में कंकड़बाग का अशोक नगर एरिया, बुद्धा काॅलोनी समेत कई इलाकों से काफी केस आ रहे हैं. पालीगंज में तो एक शादी समारोह ने ही करीब 125 लोगों को संक्रमित कर दिया, दूल्हे की मौत भी हो गयी.
एक्सपर्ट केस में बढ़ोतरी के पीछे सोशल डिस्टैंसिंग को लेकर सजगता में आयी कमी बताते हैं. सार्वजनिक परिवहन व बाजार खुल जाने के बाद लोग सुरक्षित दूरी व मास्क को लेकर लापरवाह हो गये हैं. सड़कों पर निकलने वालों में से एक बड़ी आबादी मास्क नहीं लगाती.
पिछले दिनों पटना में होने वाली जांचों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. उदाहरण के लिए आइजीआइएमएस में ही इसकी संख्या 300-400 रोजाना से बढ़ कर 1800 से 1900 तक पहुंच गयी है. इसी तरह से आरएमआरआइ, पीएमसीएच और पटना एम्स में भी लैब की क्षमता बढ़ी है. चार निजी लैबों में भी जांच हो रही है. इसके कारण भी नये केस तेजी से सामने आने लगे. एक्सपर्ट मानते हैं कि लाॅकडाउन के दिनों में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर आये. बिना जांच के ज्यादातर घर चले गये. इसके कारण कोरोना तेजी से बढ़ा है.