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कोरोना महामारी के बीच भाजपा का चुनाव की तैयारियों में लगना दुर्भाग्‍यपूर्ण : शरद यादव

पूर्व सांसद और लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) के नेता और शरद यादव ने कहा कि देश अभी कोरोना महामारी से जूझ ही रहा है और मजदूरों को दिए जख्म अभी ताजा ही है. ऐसे में भाजपा अपने चुनावों की तैयारी में लग गयी है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं इसकी निंदा करता हूं.

By Samir Kumar | June 9, 2020 3:25 PM

पटना/नयी दिल्ली : पूर्व सांसद और लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) के नेता और शरद यादव ने कहा कि देश अभी कोरोना महामारी से जूझ ही रहा है और मजदूरों को दिए जख्म अभी ताजा ही है. ऐसे में भाजपा अपने चुनावों की तैयारी में लग गयी है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं इसकी निंदा करता हूं. शरद यादव ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जिस तरह इस समय में जब मजदूर से लेकर हर आम आदमी को खाने के लाले पड़े हुए हैं और ऐसे में भाजपा द्वारा डिजिटल रैली पर इतना खर्चा करना न केवल निंदनीय है, बल्कि कहीं से भी शोभा नहीं देता है. सबसे बड़ी पार्टी और जिसके हाथ में सत्ता हो और ऐसा काम करे तो देश को क्या राह और दिशा दिखाएगी देशवासियों कि समझ के परे है.

शरद यादव ने कहा कि हमारे मजदूर भाई-बहनों के साथ जो व्यवहार हुआ है वह भुलाया नहीं भूल सकता है. ऐसा व्यवहार तो जब अंग्रेजों ने इस देश पर राज किया था तब भी ऐसा नहीं होता था जैसा हाल ही में मजदूरों के साथ देखने को मिला है. जिस तरह से कोरोना संकट के बचाव के लिए अचानक तालाबंदी की गयी जिसने नोटबंदी के दिनों को ही ताजा नहीं किया, बल्कि ऐसा लगा जैसे देश में कोई सरकार काम ही नहीं कर रही है.

पूर्व सांसद शरद यादव ने कहा कि अचानक तालाबंदी से केवल प्रवासी कामगार ही तबाह और बेहाल नहीं हुए, बल्कि देश का हर नागरिक इससे तकलीफ और परेशानी में आया है. सरकार को देशवासियों से माफी मांगने की बजाए जिस शान और शौकत से डिजिटल रैली की गयी उससे मजदूर भाई-बहन से लेकर बिहार और देश के हर नागरिक को ठेस पहुंची है.

गृह मंत्री अमित शाह के भाषण में सुनाये गये आंकड़ों को हास्यपद बताते हुए शरद यादव ने कहा कि भाषण में कोई भी वजन नहीं था. जो पैसा रैली पर खर्च किया गया, अगर वही पैसा मजदूरों के परिवारों के लिए खर्च किया गया होता तो उसका कोई अर्थ भी था. राज्य में आज हो रहे कामों और आंकड़ों की तुलना सन 2005 की राजद की सरकार से की गयी जिसका कोई मतलब नहीं था.

उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को बताना चाहिए था कि किस तरह से राज्य सरकार ने अपने राज्य के छात्रों और कामगारों को जो दूसरे राज्यों में फंसे थे अपने घर लौटना चाहते थे उनके लिए आनाकानी किया गया और उसी वजह से सारा भ्रम पैदा हुआ था. राज्य की शिक्षा व्यवस्था में आयी कमी, कानून व्यवस्था चरमराती हुई, मनरेगा में काम ना मिलना आदि खामियों के बारे में रोशनी डालनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर भाजपा की डिजिटल रैली न केवल एक बड़ा फ्लॉप शो बल्कि मानवीय दृष्टि से जनता का मजाक उड़ाने जैसा था.

शरद यादव ने कहा कि भाजपा ने बड़ी शान और शौकत से रैली की व्यवस्थाएं की थी, वहीं राजद ने भी थाली बजाकर जिस तरह से विरोध प्रदर्शन किया. उसको भी मैं ठीक नहीं मानता हूं. ऐसे समय में जब देश कोरोना संकट से पीड़ित है और ऊपर से मजदूरों के साथ जिस तरह से व्यवहार हुआ. उसमे थाली बजाना कोई शोभा नहीं देता है. विरोध करने के कई और तरीके भी हो सकते थे.

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