उपडाकघर बंद रहने से रह सकती हैं भाइयों की कलाइयां सूनी, राखी कारोबारियों को भी भारी नुकसान
पटना जिले में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए डाक विभाग ने 50 से अधिक उप डाकघर (नॉन डिलिवरी डाकघर ) को 31 जुलाई तक बंद करने का फैसला किया है.
पटना: भाई बहन के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन को अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में डाक घर के बंद होने से भाई के हाथों में राखी बंधने की उम्मीद कम होती जा रही है. दरअसल इस साल अधिकतर बहनें आनलाइन राखी खरीदकर भाइयों को भेज रही हैं, लेकिन डाकघर के बंद होने से वो भाई तक पहुंच पायेगी इसकी उम्मीद कम है. डाक से दूसरे राज्यों में राखी भेजने की अंतिम तारीख 25 जुलाई ही है. लॉकडाउन के दौरान आवाजाही भी बंद है. ऐसे में बहनों के लिए अपने इलाके के उपडाघर बंद होने से भाईयों को राखी भेजना मुश्किल हो गया है.
31 जुलाई तक बंद रहेंगे उपडाकघर
पटना जिले में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए डाक विभाग ने 50 से अधिक उप डाकघर (नॉन डिलिवरी डाकघर ) को 31 जुलाई तक बंद करने का फैसला किया है. इस संबंध में पटना डिवीजन के वरीय डाक अधीक्षक ने नॉन डिलिवरी वाले डाकघर के पोस्ट मास्टर को एक पत्र जारी किया है. इसका मुख्य उद्देश्य कोरोना संक्रमण का फैलाव कम से कम करना बताया गया है.
पटना डिवीजन में हैं 67 उप डाकघर
मिली जानकारी के अनुसार पटना डिवीजन में 67 और पटना साहिब में 41 उप डाकघर हैं. इनमें से 50 नॉन डिलिवरी डाकघर हैं. नॉन डिलिवरी डाकघर के खाताधारक आसपास के डाक से सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं. मिली जानकारी के अनुसार सभी डाकघरों के पोस्ट मास्टर को अपने-अपने स्तर पर कर्मचारियों और पोस्टमैन को मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया है.
लॉक डाउन के कारण बाजार में सन्नाटा
कोरोना के कारण बाजार बंद हैं और लॉकडाउन के कारण आवाजाही भी बंद है. ऐसे में सामान्य दिनों में रक्षाबंधन आने के महीना पहले से ही हाट बाजार में राखी की दुकानें सज जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना प्रकोप के कारण लागू लॉक डाउन के कारण बाजार में सन्नाटा पसरा है. ऐसे में डाक के माध्यम से ही बहनें अपने अपने भाइयों को राखी भेज रही हैं. आन लाइन राखी खरीद कर बहनें अपने भाइयों को राखी भेज तो रही हैं, लेकिन भाई तक वो पहुंच पायेगी या नहीं इसको लेकर चिंताएं बढ़ गयी है. हर वर्ष बहनों को रक्षाबन्धन का शिद्दत से इंतेजार होता है.
ई राखी का बचा है विकल्प
राखी के दिन हर वर्ष बहनें खुद भाइयों को राखी बांधती थी, लेकिन इस बार महामारी के कारण आना जाना सम्भव नही दिख रहा. ऐसे में बहनों के पास ई राखी का विकल्प ही बचा हुआ है. वैसे विभिन्न तरह के आकर्षक राखी ऑनलाइन दुकानों में मिल रहे हैं, लेकिन उनकी आपूर्ति समय पर हो यह सुनिश्चत नहीं हो पा रही है. ऐसे में राखी के दिन फोन पर बधाई या सोशल साइट के माध्यम से शुभकामनाएं देने का ही इस साल विकल्प बच रहा है.
कारोबारी और कारीगर दोनों उदास
कोरोना काल में एक ओर जहां बहनें अपने भाइयों को राखी नहीं भेज पाने से उदास है वहीं राखी के थोक विक्रेता भी निराश है. बाजार में राखी की डिमांड होती थी, अच्छा मुनाफा होता था, लेकिन इस बार कोरोना के कहर ने पूरा व्यवसाय को लील लिया है. राखी का आर्डर जो पहले लगाया गया था, अब उसकी डिलेवरी नहीं हो पा रही है. राखी के व्यवसाय से जुड़े लोगो की माने तो हर वर्ष इस व्यवसाय में हजारों लोगों को रोजगार मिलता था, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण बाजार खत्म है. राखी बनाने वाले कुटीर उद्योगों में काम करने वाले लोगो के रोजगार पर भी असर पड़ा है.
posted by ashish jha