पटना/शिमला : कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिहाज केंद्र सरकार की ओर से लिये गये लॉकडाउन के निर्णय के बाद से हिमाचल प्रदेश में फंसे बिहार, उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों के मजदूरों की परेशानी हर दिन बढ़ती ही जा रही है. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में रहने वाले बिहार निवासी जगत राम को लगता है कि अगर काम नहीं मिला तो कैसे संवरेगी उसकी और उसके परिवार की जिंदगी. जगत राम का कहना है, ‘‘मेरे और मेरे परिवार के लिए बेहद खराब हालात हैं.”
वहीं, बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले दिहाड़ी महिला मजदूरों मंतरन देवी और सिमरतो देवी का भी कुछ यही कहना है कि जमापूंजी खर्च हो जाने पर रोटी कहां से आयेगी. हालांकि, हिमाचल प्रदेश सरकार ने सोमवार को राज्य में भवन एवं विनिर्माण कामगार बोर्ड में पंजीकृत कामगारों को एक बार में 2,000 रुपये की सहायता देने की घोषणा की थी. साथ ही गरीबों के लिए 500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की भी घोषणा हुई थी, लेकिन असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कोई घोषणा नहीं हुई है.
इन सबके बीच शिमला के मॉल रोड स्थित जामा मस्जिद के एक छोटे से कमरे में रह रहा पेशे से कुली बिलाल (22) सिर्फ खाना लेने के लिए मस्जिद परिसर में ही बने ढाबे तक जा रहा है. इस महामारी के दौरान ज्यादातर लोग सरकार की अपील और डर के कारण घरों के भीतर रह रहे हैं. इस बंदी/कर्फ्यू जैसे हालात ने बोझ उठाने वाले बिलाल जैसे लोगों के लिए कामकाज के अवसर लगभग शून्य कर दिये हैं.
वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा सोमवार से संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के बाद ऐसे कामगारों (दिहाड़ी मजदूरों) का भविष्य और अनिश्चित सा नजर आ रहा है. जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग के रहने वाले बिलाल के दिमाग में पूरे वक्त यही चलता रहता है कि आखिर उसकी रोजी रोटी कैसे चलेगी, रखे हुए पैसे तो धीरे-धीरे खर्च हो रहे हैं, अब क्या होगा?
पांच साल से पिट्ठू का काम कर रहे बिलाल ने बताया, ‘‘मैं रोज 500 से 1,500 रुपये तक कमा लेता था, लेकिन पिछले 10-12 दिन से एक नये पैसे की कमायी नहीं हुई है. हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के पहले ही काम मिलना बंद हो गया था.” उसने बताया, ‘‘फिलहाल मेरे पास कुछ पैसे हैं, जिनसे मैं जामा मस्जिद परिसर में बने ढाबे से भोजन और बाकि खाद्यान्न खरीद रहा हूं. मुझे नहीं पता है कि अगले कुछ दिन में पैसे खत्म होने के बाद मैं खाना कैसे खाऊंगा. 14 अप्रैल को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी काम मिलने की कोई संभावना नहीं है.” ऐसी हालत सिर्फ बिलाल की नहीं है, ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो इसी दुख में घुल रहे हैं कि जमापूंजी खत्म होने पर रोटी कैसे मिलेगी.
इन सबके बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि बिहार के निवासी राज्य या उसके बाहर जहां भी फंसे हों वहीं पर उन्हें मदद की जायेगी तथा उनके भोजन एवं रहने की व्यवस्था सरकार करेगी. पटना स्थित मुख्यमंत्री निवास पर कोरोना संक्रमण एवं लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति पर एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान नीतीश ने उक्त बातें कही.
सीएम नीतीश ने कहा कि राज्य के निवासी बिहार या उसके बाहर जहां भी फंसे हों वहीं पर उनकी मदद की जायेगी तथा बिहार में अन्य राज्यों के जो लोग फंसे हैं उनके लिये भी राज्य सरकार अपने स्तर से भोजन एवं रहने की व्यवस्था करेगी. उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में बिहार के जो निवासी काम करते हैं और वे लॉकडाउन के कारण वहां के शहरों में फंसे गये हैं या रास्ते में हैं उनके लिये भी राज्य सरकार नयी दिल्ली में स्थानीय आयुक्त के माध्यम से संबंधित राज्य सरकारों एवं जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित करेगी और उनके भोजन एवं रहने के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगी.मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस कार्य हेतु मुख्यमंत्री राहत कोष से आपदा प्रबंधन विभाग को 100 करोड़ रूपये की राशि जारी कर दी गयी है.