मुखिया के माध्यम बनाये जानेवाले पंचायत सरकार भवनों की प्राक्कलन राशि में होगी वृद्धि संवाददाता,पटना राज्य की ग्राम पंचायतों में मुखिया के माध्यम से बनने वाले पुराने और अधूरे पंचायत सरकार भवनों के प्राक्कलन राशि में 20 प्रतिशत की वृद्धि की जायेगी. प्राक्कलन राशि में वृद्धि होने से प्रति पंचायत सरकार भवन के निर्माण की राशि में करीब 20-25 लाख की वृद्धि होने की संभावना है. पंचायती राज विभाग की ओर से विभिन्न चरणों में 1435 पंचायत सरकार भवनों के निर्माण की जिम्मे री मुखिया को सौंपी गयी थी. इसमें अभी तक 720 पंचायत सरकार भवनों का निर्माण अभी पूरा कराया जाना है. ग्राम पंचायतों को पूर्व में मिले पंचायत सरकार भवन की लागत करीब सवा करोड़ रुपये थी. अब इसमें 20 से 25 लाख रुपये की लागत और बढ़ जायेगी. पंचायती राज विभाग ने सभी जिला पंचायती राज पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि ग्राम पंचायत (मुखिया) के माध्यम से निर्माणाधीन पंचायत सरकार भवनों के मूल प्राक्कलन में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि के बाद कुल राशि पोर्टल पर अपलोड की जाये. मुखिया द्वारा तैयार किये जा रहे पुराने पंचायत सरकार भवनों के निर्माण की मूल राशि एक करोड़ 24 लाख से लेकर एक करोड़ 30 लाख तक निर्धारित की गयी थी. अब इसमें 20 प्रतिशत वृद्धि होने से माना जा रहा है कि पंचायत सरकार भवन के निर्माण में करीब एक करोड़ 50 लाख से अधिक लागत हो जायेगी. पंचायती राज विभाग द्वारा हाल ही में समीक्षा के दौरान पाया गया है कि भोजपुर, जमुई और जहानाबाद जिलों द्वारा मूल प्राक्कलन में 20 प्रतिशत वृद्धि के बाद राशि को पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है. मुजफ्फरपुर जिला द्वारा कुल 23 प्रस्ताव तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है. इसी प्रकार से सहरसा जिला में 22 प्रस्तावों में 21 का प्राक्कलन प्रस्ताव तैयार किया गया है. सीवान जिले में 20 प्रस्ताव तैयार किये गये हैं. समीक्षा में पाया गया कि मुखिया द्वारा निर्माणाधीन 269 पंचायत सरकार भवन के द्वितीय तल की छत ढलाई और 57 पंचायत सरकार भवन का पहला तल के प्लींथ स्तर पर निर्मित हैं. इसे द्वितीय तल तक निर्मित किया जाना है. ऐसे भवनों को 15 मार्च तक पूरा करने का निर्देश दिया गया. अब तक 76 ग्राम पंचायतों में कार्य प्रारंभ ही नहीं किया गया है. इसे एक सप्ताह में कार्य प्रारंभ करने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा 612 पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए भूमि का ही चयन नहीं किया गया है. इसमें मुख्य रूप से कटिहार, मुजफ्फरपुर, सीवान, मधुबनी, पटना, वैशाली और अररिया जिले में अधिक संख्या में भूमि का चयन नहीं किया गया है. इसको लेकर सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे समीक्षा कर जल्द भूमि का चयन करें, जिससे भवन का निर्माण आरंभ किया जा सके.
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