बिहार समेत देश के एथलीटों को मिल रहे 50 हजार प्रतिमाह, संन्यास लेने पर 12 से 20 हजार पेंशन

भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ भीम सिंह के सवाल पर युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने बताया है कि बिहार सहित पूरे देश के एथलीटों को विभिन्न स्कीमों व कार्यक्रमों के माध्यम से वित्तीय सहायता दी जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 16, 2024 12:18 AM

बिहार समेत देश के एथलीटों को मिल रहे 50 हजार प्रतिमाह, संन्यास लेने पर 12 से 20 हजार पेंशन

राज्यसभा में भाजपा सांसद डॉ भीम सिंह के सवाल पर बोले केंद्रीय खेल मंत्री

संवाददाता,पटना

भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ भीम सिंह के सवाल पर युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने बताया है कि बिहार सहित पूरे देश के एथलीटों को विभिन्न स्कीमों व कार्यक्रमों के माध्यम से वित्तीय सहायता दी जा रही है.उन्हें खेल में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.कोर ग्रुप के एथलीटों को प्रतिमाह 50 हजार की दर से आउट ऑफ पॉकेट भत्ता (ओपीए) दिया जा रहा है.वहीं,सक्रिय खेलों से संन्यास ले चुके खिलाड़ियों को पेंशन स्कीम के माध्यम से 12 हजार से 20 हजार रुपये तक मासिक पेंशन दी जा रही है.इसके अलावा खिलाड़ी द्वारा प्रस्तुत प्रशिक्षण योजना का पूरा खर्च, मिशन ओलिंपिक सेल (एमओसी) द्वारा विचार किये जाने और अनुमोदित होने पर टीओपीएस के तहत वहन किया जाता है. टीओपीएस डेवलपमेंट ग्रुप के एथलीटों को 25 हजार रुपये का ओपीए दिया जा रहा है. डॉ सिंह के अतारांकित प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय खेल मंत्री डॉ मांडविया ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक विजेताओं को 20 हजार रुपये से लेकर 75 लाख तक का नकद पुरस्कार दिया जाता है.

एथलीटों को कोच व मेंटर बनाया जा रहा

खेल मंत्री डॉ मांडविया ने बताया कि खेलो इंडिया केंद्रों के तहत पूर्व चैंपियन एथलीटों को युवा एथलीटों के कोच या मेंटर के रूप में नियुक्त किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने वाले एथलीटों के लिए मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार व द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार भी सरकार प्रदान करती है.राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भागीदारी आदि के लिए आर्थिक बदहाली में रह रहे खिलाड़ियों को ढाई लाख रुपये तक प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करती है.

प्रशिक्षण, एक्सपोजर पर प्रतिवर्ष 6.28 लाख खर्च

प्रशिक्षण खर्च, कोचिंग, प्रतियोगिता एक्सपोजर, शिक्षा, उपकरण सहायता, वैज्ञानिक सहायता आदि के लिए प्रतिवर्ष 6.28 लाख रुपये की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.न सिर्फ सक्रिय करियर के दौरान, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद भी खिलाड़ियों को सहायता प्रदान करने के लिए कई कदम उठाये गये हैं.

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