World IVF Day: बांझपन के शिकार दंपत्तियों को IVF से मिल रही है खुशियां, पटना में यहां मिल रही है ये सुविधा

World IVF Day: आईवीएफ को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 25 जुलाई को वर्ल्ड आईवीएफ डे मनाया जाता है. इसी दिन पहली बार आईवीएफ के माध्यम से बच्ची का जन्म हुआ था.

By Anand Shekhar | July 25, 2024 6:05 AM
an image

World IVF Day: हर दंपति का सपना होता है कि उनके घर भी किलकारी गूंजे. लेकिन माता-पिता बनने की चाह कई लोगों की पूरी नहीं हो पाती है और ऐसे में अपने सपने को पूरा करने के लिए वे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) ट्रीटमेंट का सहारा लेते हैं. ऐसे में निसंतान दंपतियों को आईवीएफ के बारे में पूरी जानकारी होना चाहिए. आईवीएफ, नि:संतानता की समस्या को दूर करने में काफी असरदार पाया गया है. चूंकि यह तकनीक काफी नई है, यही कारण है कि इसको लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल रहते हैं.

क्या है आईवीएफ ट्रीटमेंट

आईवीएफ प्रोसेस का पूरा नाम है इन विर्टो फर्टिलाइजेशन, जिसकी मदद से संतान सुख से वंचित महिलाओं को मां बनने का सुख प्राप्त होता है. जिन महिलाओं को गर्भ धारण करने में किसी भी प्रकार की परेशानी आती है, उन्हें ही आमतौर आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी जाती है. आईवीएफ ट्रीटमेंट तीन तरीके से होता है. डॉक्टरों के अनुसार आईवीएफ की तीन श्रेणी होती है. इसमें नेचुरल आईवीएफ, मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ और तीसरा कन्वेंशन आईवीएफ शामिल हैं. इनमें किसी में पारंपरिक तरीके से किसी में एक स्वस्थ अंडाणु तैयार कर ट्रीटमेंट किया जाता है.

सरकारी में सिर्फ आइजीआइएमएस में उपलब्ध है आईवीएफ की सुविधा

पटना शहर के आइजीआइएमएस अस्पताल छोड़ दिया जाये तो प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में आईवीएफ तकनीक से इलाज नहीं होता है. एम्स, पीएमसीएच, एनएमसीएच समेत प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में आईवीएफ सेंटर नहीं है. वहीं आइजीआइएमएस के प्रजनन औषधि विभाग की हेड डॉ कल्पना सिंह की देखरेख में यहां आईवीएफ सेवा शुरू की गयी है. इसकी शुरुआत आइजीआइएमएस में 2020 में हुआ और 2022 के मार्च महीने में पहला बच्चा आईवीएफ तकनीक से हुआ. संस्थान प्रशासन के अनुसार 65 से 70 हजार रुपये में यहां आईवीएफ की सुविधा प्रदान की जा रही है.

  • केस 1- सहरसा जिले के सत्ता हौर बेल्हा निवासी दंपति अनिता कुमारी और मिथिलेश कुमार के शादी के 14 साल बाद तक संतान सुख नहीं मिल पाया था. 2021 में दंपतियों ने आइजीआइएमएस के आइवीएफ सेंटर से संपर्क किया. करीब एक साल इलाज के बाद मार्च 2022 में दंपति को मात्र सुख की प्राप्ति हुई. अनिता ने बेटे को जन्म दिया, आज वह बच्चा तीन साल का हो गया है.
  • केस 2- रोहतास जिले के रहने वाले विनोद सिंह व पत्नी सुमन देवी को बच्चा नहीं हो पा रहा था. दंपती ने बताया कि उन्हें नॉर्मली कंसीव नहीं हो पा रहा था. इसके बाद वह एनएमसीएच की डॉ नीलू प्रसाद से संपर्क किया जहां. आस्था आइवीएफ सेंटर में करीब डेढ़ साल इलाज के बाद सुमन कंसीव की और बच्चे को जन्म दिया.
  • केस 3- ममता देवी के पति राजीव कुमार ने बताया कि शादी के लंबी अवधि बीतने के बाद भी प्रेगनेंसी नहीं ठहर रही थी. राजीव ने बताया कि यूट्यूब चैनल पर आइवीएफ तकनीक को देखा, फिर वह आइवीएफ तकनीक को अपना और फिर संतान सुख की प्राप्ति की. दंपती ने बताया कि पहली बार ही आइवीएफ के दौरान उनको सफलता मिल गयी.

अब 25 से 30 साल के दंपतियों में भी समस्या

बदलती लाइफस्टाइल और खानपान की गड़बड़ी के चलते अब 25 से 30 साल के दंपती भी बांझपन के शिकार हो रहे हैं. देर से ही शादी करने पर बच्चे का सुख मिलने में मुश्किल का मिथ टूट गया है. ऐसे दंपति तेजी से आइवीएफ का सहारा ले रहे हैं. शहर के अस्पतालों में आ रहे केस के बाद आइवीएफ की डॉक्टरों ने इसका खुलासा किया है. डॉक्टर के अनुसार महिलाओं में बांझपन के लिए फैलोपियन ट्यूब का ब्लॉक होना, लो ओवरी रिजर्व के साथ इंडो चॉकलेट सिस्ट को माना जा रहा है. जबकि पुरुष इनफर्टिलिटी के संरचना को जिम्मेदार माना जा रहा है. डॉक्टरों के अनुसार अब नि:संतान के लिए पुरुष व स्त्री दोनों बराबर के जिम्मेदार माने जा रहे हैं. पुरुषों में तनाव, गुटखा, खानपान और नशे को माना जा रहा है. इसलिए कई दंपतियों में इम्युनोलॉजिकल इलाज तक किया जा रहा है.

Also Read: पूर्णिया के बेलवा में रहस्यमयी बीमारी से खतरे में एक और जान, डर से लोगों ने खाना-पीना छोड़ा, अब तक 3 की मौत


क्या कहती हैं आइजीआइएमएस आइवीएफ की हेड

2020 में आइवीएफ तकनीक यहां विकसित हुई. हर महीने करीब 70 मरीज बांझपन के शिकार होकर ओपीडी में आ रहे हैं. जिनका इलाज चल रहा है. वहीं जो महिलाएं दवा आदि से कंसीव नहीं करती तो बाद में उन्हें आइवीएफ तकनीक से कंसीव कराया जा रहा है. यहां मात्र 65 से 70 हजार रुपये खर्च कर आइवीएफ तकनीक दंपतियों की सुनी गोद भरी जा रही है.

डॉ कल्पना सिंह, हेड प्रजनन औषधि विभाग, आइजीआइएमएस.


आइवीएफ ने निसंतान दंपतियों को खुशी के पल देने का काम शुरू कर दिया है. देर से शादी के कारण बच्चों में आ रही मुश्किलें अब 25 से 30 साल की युवतियों में भी आने लग रही हैं. आइवीएफ ने ऐसे दंपतियों को बड़ी राहत के साथ उम्मीदों दी हैं. ऐसे में अगर शादी के दो से तीन साल तक प्रेग्नेंसी नहीं ठहर रही तो तुरंत एक्सपर्ट से मिलकर इलाज शुरू करा लेनी चाहिए.

डॉ नीलू प्रसाद, एनएमसीएच की असिस्टेंट प्रो. व एक्सपर्ट आस्था आइवीएफ.

Exit mobile version