COVID-19: कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों को हो रही दूसरी बीमारी, जानें क्या है वजह…
पटना: जो लोग कोरोना से ठीक होकर घर पहुंचने के बाद खुद का ख्याल ठीक से नहीं रख रहे हैं, उनको हृदय और फेफड़े के रोग परेशान कर रहे हैं. सांस लेने में तकलीफ, ब्रेन और हार्ट स्ट्रोक जैसी अन्य बीमारियों के लक्षण मिल रहे हैं. इस तरह के दर्जनों मरीज पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बने पोस्ट कोविड वार्ड में आ रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इसका समय पर इलाज नहीं कराना जानलेवा भी हो सकता है.
पटना: जो लोग कोरोना से ठीक होकर घर पहुंचने के बाद खुद का ख्याल ठीक से नहीं रख रहे हैं, उनको हृदय और फेफड़े के रोग परेशान कर रहे हैं. सांस लेने में तकलीफ, ब्रेन और हार्ट स्ट्रोक जैसी अन्य बीमारियों के लक्षण मिल रहे हैं. इस तरह के दर्जनों मरीज पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बने पोस्ट कोविड वार्ड में आ रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इसका समय पर इलाज नहीं कराना जानलेवा भी हो सकता है.
एक मिनट में 15 बार से अधिक सांस लेने की तकलीफ
कोरोना को मात देकर घर लौटे खगड़िया निवासी रोहित कुमार को करीब 10 दिन बाद सांस लेने में तकलीफ होने लगी. परिजनों ने फिर से कोरोना की जांच करायी, जो निगेटिव आयी. डॉक्टरों ने पोस्ट कोविड वार्ड में मरीज को रेफर किया. जहां लंग्स की जांच की गयी. डॉक्टरों के मुताबिक रोहित एक मिनट में 18 बार सांस ले रहा था. जिसके बाद उसे इन्हेलर व सांस संबंधी दवाएं दी गयीं. पीएमसीएच के चेस्ट रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ सुभाष झा ने बताया कि एक इंसान एक मिनट में 15 बार सांस लेता है, अगर वह 18 बार लेता है, तो इसका मतलब है कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है. किसी ने 20 से 25 बार लिया, तो इसका मतलब है कि उसके लंग्स, सांस को अपनी क्षमता के अनुसार साफ नहीं कर पा रहा है. मरीज के लंग्स में वायरस की वजह से फाइब्रोसिस बन जाता है. सामान्य भाषा में कहें, तो लंग्स में निमोनिया हो जाता है.
घर जाने पर 14 दिन तक आराम की जरूरत
पीएमसीएच इएनटी विभाग के डॉ शाहीन जफर ने बताया कि कोविड वार्ड से डिस्चार्ज होने के बाद इम्युनिटी सिस्टम कमजोर व खून की कमी वाले संक्रमित मरीजों को करीब एक महीने तक दवाएं दी जाती हैं. ऐसे में मरीज को दवा का सेवन करने के साथ खुद का केयर करना जरूरी हो जाता है. खास कर घर जाने पर 14 दिनों तक आराम जरूरी होता है. क्योंकि कई मरीजों में वायरस का असर बॉडी के दूसरे अंगों पर भी होता है. मरीज अगर एसिम्टोमोटिक भी है, तो कोरोना से ठीक होने के बाद उसकी ब्लड जांच की जानी चाहिए. देखा जाना चाहिए कि उसकी बॉडी के अन्य पारामीटर पर इस वायरस का कैसा असर हुआ है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya