Covid-19 Bihar : कोरोनाकाल में एड्स पीडि़त संकट में, एक पत्र के कारण खतरे में आ सकती हैं दर्जनों की जिंदगी…
पटना: एनएमसीएच राज्य का प्रमुख कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल है. अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद एनएमसीएच कोरोना के इलाज के लिए पटना सिटी इलाके में स्थित गुरू गोबिंद सिंह अस्पताल को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है. इसको लेकर एनएमसीएच प्रशासन ने पटना सिविल सर्जन को एक पत्र भी लिखा है.
पटना: एनएमसीएच राज्य का प्रमुख कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल है. अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद एनएमसीएच कोरोना के इलाज के लिए पटना सिटी इलाके में स्थित गुरू गोबिंद सिंह अस्पताल को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है. इसको लेकर एनएमसीएच प्रशासन ने पटना सिविल सर्जन को एक पत्र भी लिखा है.
स्वास्थ्य विभाग ने दिया मौखिक आदेश,अब लिखा गया यह पत्र
पत्र में यहां मौजूद डाॅक्टरों व कर्मियों के संबंध में जानकारी मांगी गयी है और अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाने की बात कही गयी है. एनएमसीएच प्रशासन के मुताबिक गुरू गोबिंद सिंह अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाकर एनएमसीएच के नियंत्रण में देने का मौखिक आदेश स्वास्थ्य विभाग के पिछले प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत ने कुछ दिनों पूर्व दिया था. इस आदेश का पालन करने के लिए ही अब यह पत्र लिखा गया है.
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अस्पताल में है एड्स पीड़ितों का अलग वार्ड
गुरू गोबिंद सिंह अस्पताल में एड्स पीड़ितों का एक अलग वार्ड हैं जिसमें करीब 30 बेड हैं. यहां राज्य भर से ऐसे एड्स पीड़ित गंभीर मरीज भर्ती किये जाते हैं जो अपनी बीमारी के अंतिम स्टेज में होते हैं. ये बेहद कमजोर हो चुके होते हैं और इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी कम होती है. ऐसे में इसे अगर कोविड अस्पताल बनाया जाता है तो इन्हें कहीं और भेजना होगा. इस स्थिति में इनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता है. कहीं और ले जाने पर इनमें भी कोरोना संक्रमण की आशंका बढ़ जायेगी. इन्हें अगर कोरोना होगा, तो इनकी मौत होने की ज्यादा संभावना रहेगी.
एड्स पीड़ितों को कोई अस्पताल भर्ती करने को तैयार नहीं
गुरू गोबिंद सिंह अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा प्राप्त है. यहां हर दिन 300 से 350 मरीजों का ओपीडी में इलाज होता है. वहीं रोजाना चार से छह प्रसव होते हैं. एड्स पीड़ितों के बीच काम करने वाली संस्था बिहार नेटर्वक फाॅर पीपुल लिविंग वीथ एचआइवी एडस सोसाइटी, बिहार के अध्यक्ष ज्ञान रंजन कहते हैं कि अभी के समय में एड्स पीड़ितों का इलाज बेहद मुश्किल हो गया है. कोई अस्पताल उन्हें भर्ती करने को तैयार नहीं हो रहा है. ऐसे में इन्हें अगर यहां से हटा दिया जायेगा, तो ये बेमौत मारे जायेंगे. यहां उनके लिए विशेष रूप से वार्ड बनाया हुआ है ऐसे में यहां से उन्हें हटाना गलत फैसला होगा.
अधीक्षक ने कहा
गुरू गोबिंद सिंह अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाकर एनएमसीएच के नियंत्रण में लाने के लिए हमने पत्र लिखा है. अगर हमें अस्पताल मिल जाता है, तो वहां कोविड मरीजों का इलाज शुरू कर दिया जायेगा.
डॉ बिनोद कुमार सिंह, अधीक्षक, एनएमसीएच
सिविल सर्जन ने कहा
एनएमसीएच प्रशासन का एक पत्र मिला है, जिसमें गुरू गोबिंद सिंह अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाने व नियंत्रण में लेने की बात कही गयी है. लेकिन, वहां राज्य भर से आये एड्स के गंभीर मरीज भर्ती रहते हैं. उन्हें अभी कहीं और भेजना उनके लिए खतरनाक हो सकता है. साथ ही इससे वहां ओपीडी में अन्य बीमारियों का इलाज और प्रसव की सुविधा भी बंद हो सकती है.
डॉ राजकिशोर चौधरी, सिविल सर्जन, पटना
Posted By : Thakur Shaktilochan Shandilya