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COVID-19 Impact: कोरोनाकाल में बुजुर्गों ने झेली उपेक्षा, तेजी से बढ़ा पीढ़ियों के बीच का अंतर, जानिये कारण…

कोरोनाकाल के दौरान रिश्तों पर भी गहरा असर पड़ा है. बुजुर्गों के अधिकारों का हनन अधिक होने का खुलासा एजवेल फाउंडेशन की एक अध्ययन से हुआ है.

जुही स्मिता, पटना: कोविड-19 के दौर में रिश्तों में आयी दूरियों ने पारिवारिक ढांचे को कमजोर किया या. पीढ़ीगत अंतर अब और तेजी से बढ़ रहा है, बुजुर्ग लोगों के अधिकार पर खतरा मंडरा रहा. बुजुर्गों के सामने सामाजिक अलगाव, दुर्व्यवहार और उपेक्षा जैसी चुनौतियां खड़ी हो गयी. बुजुर्गों(वृद्धों) के लिए काम करने वाले एजवेल फाउंडेशन में ऐसे ही कई तथ्य उभरकर सामने आये हैं.

अध्ययन के तहत जानकारी आयी सामने

एक नये अध्ययन के अनुसार, लगभग 75.8 प्रतिशत बुजुर्गों ने दावा किया कि पिछले दो वर्षों के दौरान कोविड 19 के कारण पीढ़ियों के बीच का अंतर अधिक तेजी से बढ़ा है. एजवेल फाउंडेशन की ओर से ‘भारत में बुजुर्गों पर कोविड प्रभाव’ शीर्षक वाले अध्ययन के तहत, देश भर में फैले इसके स्वयंसेवकों ने अगस्त-सितंबर 2021 के महीने के दौरान 10,000 बुजुर्गों (60 से अधिक) के साथ बातचीत की.

पीढ़ी का अंतर बढ़ा, जानें कारण…

सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने संकेत दिया कि कोरोना वायरस के अत्यधिक विस्तार और संबंधित लॉकडाउन, सामाजिक दूरी जैसे प्रतिबंधों के कारण पीढ़ी का अंतर बढ़ गया है. सर्वेक्षण पर आधारित अध्ययन में कहा गया है, सर्वेक्षण के दौरान, 75.8 प्रतिशत बुजुर्ग ने दावा किया कि पिछले दो वर्षों के दौरान पीढ़ियों के बीच का अंतर तेजी से बढ़ा है. लगभग 53 प्रतिशत बुजुर्ग ने कहा कि महामारी और संबंधित मुद्दों के कारण उनके मानवाधिकार प्रभावित हुए हैं. 81 प्रतिशत बुजुर्गों ने शिकायत की कि बुजुर्गों के मानवाधिकारों की खराब स्थिति के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी अंतर लगातार बढ़ रहा है.

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इन कारणों से बुजुर्ग उपेक्षा के शिकार होते

अध्ययन में कोविड महामारी ने वृद्ध लोगों के सामने सामाजिक अलगाव, आर्थिक तंगी, मनोवैज्ञानिक मुद्दों से लेकर बड़े दुर्व्यवहार और उपेक्षा तक कई चुनौतियां खड़ी की हैं. इस दौरान, 85.4 प्रतिशत बुजुर्गों ने स्वीकार किया कि वे कोविड 19 की स्थिति और संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे हैं या उन्हें सामना करना पड़ रहा है. इनमें 77.1 प्रतिशत ने माना कि सामाजिक संपर्क गतिविधियों पर प्रतिबंध पीढ़ी के अंतर बढ़ने का मुख्य कारण था. करीब 54.4 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि परिवार के सदस्यों/रिश्तेदारों के बीच सामाजिक दूरी ही जेनरेशन गैप का मुख्य कारण है, जबकि 52.6 फीसदी बुजुर्गों ने इसके लिए बुजुर्गों और परिवार के छोटे सदस्यों की आय में कमी को जिम्मेदार ठहराया है.

स्मार्टफोन और डिजिटल मीडिया ने बढ़ाई दूरियां

52.8 प्रतिशत बुजुर्गों के अनुसार, स्मार्टफोन जैसे ऑनलाइन और डिजिटल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता पीढ़ी के अंतर को चौड़ा करने के लिए जिम्मेदार मुख्य कारक थी. एजवेल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष हिमांशु रथ ने कहा, कोविड की घटना के कारण सबसे अधिक प्रभावित और इसके परिणामस्वरूप लगातार बढ़ती पीढ़ी के अंतर में असहाय और हाशिए पर रहने वाले वृद्ध लोग हैं, जो आत्म-इन्कार में विश्वास करते हैं और चुपचाप सभी अपमान और अलगाव को झेलते हैं. चूंकि अभी तक कोई राहत नहीं मिली है, वृद्ध व्यक्तियों को सभी स्तरों पर आवश्यकता पड़ने पर सहायता और सभी प्रकार की सहायता के निरंतर आश्वासन की आवश्यकता होती है. 20.5 प्रतिशत बुजुर्ग के अनुसार बढ़ी हुई बेरोजगारी का सबसे अधिक परेशान करने वाला प्रभाव दूसरों पर निर्भरता का बढ़ना था जबकि 16.6 प्रतिशत ने कहा कि इसके कारण उन्हें उचित उपचार और नियमित दवाएं नहीं मिल पा रही थीं.

बुजुर्गों के अधिकारों का हनन अधिक

कोरोना काल ने हर किसी के जीवन को प्रभावित किया है जिसमें बुजुर्गों की संख्या सबसे ज्यादा है. सबसे ज्यादा उनके अधिकारों का हनन होता है.मैंने यह अनुभव किया है कि बुजुर्ग सिर्फ अपने बच्चों से प्यार और इज्जत चाहते हैं. ऐसे में पीढ़ियों का जो अंतर बढ़ा है इसे कम करने की जरूरत है. अभी के जेनरेशन को बुजुर्गों के महत्व को समझना होगा क्योंकि यह वह पेड़ है जिसकी छांव में पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कार और संस्कृति से जुड़ी होती है.

धर्मेंद्र कुमार सिंह,वृद्धा आश्रम सहारा, पटना सिटी, अधीक्षक

Posted By: Thakur Shaktilochan

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