पटना. पत्रकार नगर थाने के डॉ आशा राय वृंदावन नेत्रालय के समीप बहुमंजिले मकान संख्या 31 के तीसरे तल्ले पर किराये के फ्लैट में साइबर अपराधी एक फाइनांस कंपनी के नाम से जालसाजी की दुकान चला रहे थे. इसका खुलासा उस समय हुआ, जब पत्रकार नगर थाने की पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की और फाइनांस कंपनी के फर्जी कार्यालय से गुलशन कुमार (कतरडीह, कतरीसराय, नालंदा), सरल सुमन शेखर उर्फ कुणाल कुमार (कतरडीह, कतरीसराय, नालंदा), सोनू कुमार (कतरीसराय, नालंदा), स्मिता कुमारी (चेनारी, रोहतास) व नेहा रानी (नगर थाना, सारण) को गिरफ्तार कर लिया गया.
ये सभी नालंदा, रोहतास व सारण के रहने वाले हैं, लेकिन वृंदावन नेत्रालय के आसपास के मकानों में ही किराये का कमरा लेकर रहते थे. इन लोगों के पास से पांच डेबिट व क्रेडिट कार्ड, एक लाख नकद, 12 मोबाइल फोन, ऑफिस चलाने के लिए टेबुल की सुविधा वाली फाइबर की पांच कुर्सियां, 186 पन्नों का दस्तावेज, एक प्रिंटर और चौथाई बची हुई शराब की एक बोतल को बरामद कर लिया गया है. पकड़ी गयीं दोनों युवतियां फाइनांस कंपनी के कार्यालय में काउंसेलर के पद पर काम करती थीं. इन साइबर अपराधियों ने लोन देने के नाम पर लोगों को फंसा कर उनके बैंक डिटेल लेने के लिए फाइनांस कंपनी का फर्जी कार्यालय खोल रखा था. यहां से जालसाजी का धंधा चलता था.
अपराधियों ने फाइनांस कंपनी का फर्जी कार्यालय खोल रखा था. इससे किसी को शक नहीं होता था और वे अपने तमाम दस्तावेज मसलन आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो व अन्य कागजात इनके हवाले कर देते थे. यहां तक कि जालसाज खाली फॉर्म पर हस्ताक्षर ले लेते थे, ताकि फर्जी सिम कार्ड लिया जा सके या फिर बैंक में खाता खुलवाया जा सके. इस गिरोह के कनेक्शन बिहार में सक्रिय अन्य साइबर अपराधियों के गिरोह से भी हैं. इन लोगों से ये लोग पांच से आठ हजार रुपये देकर फर्जी नाम व पता वाले सिम कार्ड और 40 हजार रुपये देकर दूसरे का बैंक खाता व एटीएम कार्ड ले लेते थे, जिसमें जालसाजी के रुपये भेजे जाते थे और फिर एटीएम कार्ड के माध्यम से निकाल लिया जाता था.
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जानकारी के अनुसार पत्रकार नगर थानाध्यक्ष मनोरंजन कुमार भारती गश्ती में थे. इसी दौरान एक बाइक पर सवार दो युवक उधर से गुजरे और पुलिस को देख कर भागने लगे. इस पर शक हुआ और उन्होंने अपनी टीम के साथ खदेड़ कर पकड़ लिया. इसके बाद उनके पास से डेबिट व क्रेडिट कार्ड, मोबाइल फोन आदि भी बरामद किया गया. पुलिस को पूरा शक हो गया कि ये लोग साइबर अपराध करते हैं. इसके बाद पुलिस टीम ने उन दोनों की निशानदेही पर फाइनांस कंपनी के फर्जी कार्यालय में पहुंची, तो वहां से दो युवतियों समेत तीन को पकड़ लिया.
साइबर अपराधियों ने हैकर से भी संबंध बना रखे थे और लोगों के नाम, फोन नंबर और इ-मेल आइडी की जुगाड़ करते थे. हैकर डार्क नेट के माध्यम से किसी के भी सिस्टम को हैक करके डिटेल निकाल कर रखता था और उससे साइबर अपराधी पैसे देकर ले लेते थे. अपराधियों ने पुलिस को बताया कि वे लोग एक दिन में एक लाख और एक माह में 30 लाख रुपये कमा लेते हैं. इस रकम को जोड़ा जाये, तो पूरे साल में 3.60 करोड़ की कमाई होती है. इन लोगों के पास से कुछ ऐसे बैंक एकाउंट की जानकारी मिली है, जिसमें लाखों रुपये हैं. इन सारे एकाउंट को फ्रीज करा दिया जायेगा.