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ट्रेनों में उमड़ी भीड़

छठ में अब महज एक दिन बचा है. मंगलवार को नहायखाय से इस महापर्व की शुरुआत हो रही है. इसे लेकर दिल्ली, मुंबई, सूरत जैसे शहरों से बिहार आने वाले यात्रियों से पटना जंक्शन के लगभग प्लेटफार्म पैक हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 3, 2024 12:36 AM

पटना छठ में अब महज एक दिन बचा है. मंगलवार को नहायखाय से इस महापर्व की शुरुआत हो रही है. इसे लेकर दिल्ली, मुंबई, सूरत जैसे शहरों से बिहार आने वाले यात्रियों से पटना जंक्शन के लगभग प्लेटफार्म पैक हैं. मुंबई से आ रही गोरखपुर एक्सप्रेस में लोग ट्रेन के दरवाजे पर खड़े होकर पटना पहुंचे. इसके खुलने के बाद ही प्लेटफॉर्म नंबर एक पर जब 1.18 बजे मगध एक्सप्रेस पहुंची. जिसमेें भीड़ इतनी अधिक थी कि लोग आपातकालीन खिड़की से सामान उतारते दिखे. जिन लोगों ने पहले से ही रिजर्वेशन करा लिया था उन्हें भी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं, खिड़की का सहारा लेकर सामान उतार रही महिला ने कहा कि चार माह पहले स्लीपर क्लास का टिकट कराया था. लेकिन, सीट पर बैठ कर नहीं आ सकी. भीड़ इतनी थी कि, पैर रखने को जगह नहीं था. उनके साथ सूरज बताते हैं कि वे पूरे परिवार के साथ 25 वर्षों से दिल्ली में रहे रहे हैं. लेकिन, छठ में हर साल आते हैं. यात्रा के दौरान हर वर्ष ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है. 500 भी लिया व सिर पर पिन से किया हमला: गोरखपुर एक्सप्रेस से आ रहे लालबाबू कुमार को आरा जंक्शन पर किन्नर समाज के लोगों ने पिन से सिर पर हमला कर दिया. लालबाबू मुंबई से छठ के अवसर पर अपने गांव आ रहे थे. उन्होंने कहा कि किन्नर ने मुझसे पैसे मांगे तो कहा कि छुट्टे नहीं है. तो उन्होंने कहा कि जितना है दो मैं वापिस कर दूंगा. लेकिन, जब 500 रुपये का नोट दिया तो वापस नहीं किया. फिर 50 रुपये काट 450 रुपये वापस करने को कहा तब भी नहीं की. इसी क्रम में गुस्से में आकर पिन से हमला कर दिया. जिससे सिर पर गंभीर चोट आ गयी. वह वैशाली के बेलसर के निवासी हैं. इस मामले को लेकर पटना जंक्शन जीआरपी थाना में शिकायत भी की. टिकट के बाद भी सीट नहीं: दिल्ली से आ रहे पवन बताते हैं कि वे कजरा के रहने वाले हैं. उन्होंने टिकट लिया था, लेकिन वेटिंग में रह गया. इसके बाद तत्काल टिकट लिया. परंतु, स्लीपर कोच में रहने से काफी भीड़ थी. वहां उनके सीट पर अन्य लोगों ने भी अपना कब्जा जमा लिया. वहीं, जमुई निवासी रंजीत राम ने कहा कि 13 साल से दिल्ली में हैं. वहां फैक्ट्री में काम करते हैं. उन्होेंने बताया कि जनरल डिब्बे का टिकट लिया. लेकिन, कहीं बैठने को जगह ही नहीं था. कोच में ही सीटों के बीच खड़ा होकर आया.

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