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Cyber Crime : सावधान! साइबर अपराधियों ने चुरा लिया है पेंशनधारियों का डेटा, अब कॉल पर कर रहें परेशान

पटना के ब्रजेश कुमार पांडेय को एक कॉल आया और जीवन प्रमाणपत्र ऑनलाइन अपडेट कराने की बात करने लगा. शातिरों ने उनका पूरा ब्योरा भी सही-सही बताया लेकिन जैसे ही शातिरों ने उनसे ओटीपी मांगा वह समझ गये कि वह फ्रॉड के जाल में फंस रहे हैं.

शुभम कुमार, पटना: साइबर अपराधियों के निशाने पर अब पेंशनधारी आ गये हैं. साइबर शातिरों ने पेंशनधारियों का डेटा चुरा कर फोन करना शुरू कर दिया और ठगी का शिकार बनाया है. यूपी, दिल्ली और रांची के बाद पटना के एक शख्स को भी कॉल आया है. हालांकि, सही समय पर वह समझ गये और कॉल कट कर दिया. इस संबंध में यूपी और दिल्ली के साइबर सेल ने एक अलर्ट भी जारी किया है. साइबर अपराधी पेंशनधारकों को जीवन प्रमाणपत्र ऑनलाइन अपडेट करने के लिए कॉल कर रहे हैं और खातों से पैसे की निकासी कर ले रहे हैं.

अपराधियों के पास पेंशनधारकों का पूरा डेटा

अपराधियों के पास पेंशनधारकों का पूरा डेटा, जैसे नियुक्ति की तिथि, रिटायरमेंट की तिथि, पीपीओ नंबर, आधार कार्ड संख्या, स्थायी पता, इमेल आइडी, रिटायरमेंट पर प्राप्त राशि, मासिक पेंशन, नॉमिनी आदि की जानकारी होती है. वे पूरे डेटा के साथ कॉल करते हैं, ताकि पेंशनधारक को यह विश्वास दिलाया जा सके कि वे पेंशन निदेशालय से हैं.

जीवन प्रमाणपत्र अपडेट करने के नाम पर मांगते हैं ओटीपी

साइबर अपराधी पेंशनधारकों का पूरा डेटा बताते हुए उनका जीवन प्रमाणपत्र अपडेट करने के लिए ओटीपी साझा करने के लिए कहते हैं. ओटीपी साझा करते ही जालसाज पेंशनधारक के खाते से राशि को तुरंत दूसरे ‘फर्जी बैंक खातों’ या ‘वॉलेट’ में ट्रांसफर कर देते हैं.

पेंशन निदेशालय पेंशनधारकों को नहीं करता कॉल

विभिन्न राज्यों के साइबर सेल की टीम ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है. इसमें बताया गया है कि ‘पेंशन निदेशालय’ कभी भी किसी पेंशनधारक को उनका ‘जीवन प्रमाणपत्र ऑनलाइन अपडेट करने के लिए कॉल नहीं करता है और न ही ऑनलाइन जीवन प्रमाणपत्र अपडेट करता है. यह पेंशनधारकों का कर्तव्य है कि वे अपने जीवन प्रमाणपत्र को व्यक्तिगत रूप से पेंशन निदेशालय में जाकर अपडेट कराएं.

पटना के एक शख्स को भी आया कॉल

पटना के कदमकुआं थाना क्षेत्र के रहने वाले 67 वर्षीय ब्रजेश कुमार पांडेय यूपी पुलिस से रिटायर्ड दारोगा हैं. रिटायर होने के बाद वह पत्नी और बड़े बेटे के साथ मुसल्लहपुर हाट स्थित पैतृक आवास पर रहते हैं. बीते शनिवार को एक कॉल आया और जीवन प्रमाणपत्र ऑनलाइन अपडेट कराने की बात करने लगा. शातिरों ने उनका पूरा ब्योरा सही-सही बताया, लेकिन जैसे ही शातिरों ने उनसे ओटीपी मांगा, वह समझ गये कि वह फ्रॉड के जाल में फंस रहे हैं. उन्होंने तुरंत कॉल कट कर दिया, जिससे वह साइबर फ्रॉड के शिकार होने से बच गये.

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