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फर्जी सिम का इस्तेमाल कर साइबर फ्रॉड पति-पत्नी ने बना ली करोड़ों की संपत्ति, नालंदा से ली थी ट्रेनिंग

गिरफ्तार दंपती ने कई बड़ी कंपनियों का खुद से विज्ञापन डिजाइन करते थे और उसे सोशल मीडिया पर डालते थे. यही नहीं, उसके कमरे से कई कंपनियों के फर्जी दस्तावेज व स्टांप मिले, जिन्हें वे लोगों को भेज कर झांसा में लेते थे.

पटना. दीघा से गिरफ्तार साइबर फ्रॉड पति-पत्नी कई साल से साइबर ठगी कर रहे थे. किसी को डीलरशिप के नाम पर तो किसी को फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं. यही नहीं, पति-पत्नी ने अच्छी-खासी संपत्ति भी बना ली है. यूपी के जालौन की पुलिस गिरफ्तार पति-पत्नी को ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ ले गयी है.

पति-पत्नी के गिरोह में कई और लोग

मिली जानकारी के अनुसार दोनों ने पूछताछ में नालंदा, नवादा और कतरीसराय के कई लोगों के नाम बताये हैं. जो उन्हें सिम, दूसरे के नाम पर खाता और पैसे की निकासी कर देते थे. पति-पत्नी के गिरोह में कई और लोग हैं. मिली जानकारी के अनुसार पति-पत्नी के खाते से लाखों रुपये मिले हैं, जिसे फ्रीज करा दिया गया है.

दीघा से गिरफ्तार 

वहीं, कई जगहों पर जमीन के कागजात मिले जिसे जब्त कर यूपी पुलिस अपने साथ ले गयी है. मालूम हो कि यूपी के जलौन की पुलिस ने दीघा थाना क्षेत्र की यादव गली स्थित महेंद्रपुरम अपार्टमेंट के इ-ब्लॉक स्थित फ्लैट नंबर टी-5 से पति अभिमन्यु कुमार और पत्नी पपली कुमारी को गिरफ्तार किया था.

मोबाइल से मिला लोकेशन

जानकारी के अनुसार इनके पास से दूसरे के नाम पर कई फर्जी सिम मिले हैं. इसके अलावा कई लोगों के पहचान पत्र मिले हैं. जिनके नाम पर ये सिम लेकर उससे ठगी करते थे. हैरत की बात यह कि पैसा आने के बाद उस खाते से पहले कैश निकालते थे और उसके बाद उसे अपने खाते में किस्तों में डालते थे, ताकि किसी को शक न हो.

ठगी के बाद बदल देते थे सिम

ठगी के बाद सिम बदल देते थे. ताकि उस नंबर से पुलिस को डिटेल न मिल सके, लेकिन पुलिस ने मोबाइल के आइएमइआइ नंबर से लोकेशन निकाल लिया. दोनों ने जलौन के एक बड़े व्यवसायी से ओला कंपनी कर डीलरशिप देने के नाम पर 28.20 लाख रुपये की ठगी की थी. मालूम हो कि जलौन पुलिस ने इससे पहले रामकृष्णानगर और बाइपास से दो लोगों को गिरफ्तार किया था.

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कई कंपनियों के बना रखे थे फर्जी पैड व स्टांप

सूत्रों ने बताया कि दंपती ने कई बड़ी कंपनियों का खुद से विज्ञापन डिजाइन करते थे और उसे सोशल मीडिया पर डालते थे. यही नहीं, उसके कमरे से कई कंपनियों के फर्जी दस्तावेज व स्टांप मिले, जिन्हें वे लोगों को भेज कर झांसा में लेते थे. इसी तरह जलौन के व्यवसायी को ओला कंपनी के पैड पर जीएसटी व पैन नंबर डालकर डीलरशिप का झांसा दिया था.

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