बुद्ध की भूमि पर पहुंचे दलाईलामा, तिब्बत मोनास्टरी में कराया गया प्रवास, आज महाबोधि मंदिर में करेंगे पूजा
दलाईलामा शुक्रवार की सुबह करीब आठ बजे महाबोधि मंदिर जायेंगे व भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना करेंगे. इसके बाद यहां कालचक्र मैदान में दलाईलामा का तीन दिवसीय 29,30 व 31 दिसंबर को टीचिंग कार्यक्रम तय है. दलाईलामा के दीर्घायु होने के लिए कालचक्र मैदान में ही एक दिवसीय पूजा-प्रार्थना भी की जायेगी.
बौद्ध धर्मगुरु 14वें दलाईलामा गुरुवार को बोधगया पहुंचे. दिल्ली से सुबह करीब 10 बजे चार्टर्ड फ्लाई से गया एयरपोर्ट पहुंचे दलाईलामा का डीएम डॉ त्यागराजन व एसएसपी हरप्रीत कौर ने खादा व गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया. इसके बाद दलाईलामा को कड़ी सुरक्षा के बीच सड़क मार्ग से महाबोधि मंदिर के पास स्थित तिब्बत बौद्ध मठ लाया गया. यहां उनके स्वागत में वरीय लामा हाथों में खादा लेकर खड़े थे, जिन्हें दलाईलामा ने आशीर्वाद दिया. पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बजा कर अपने आध्यात्मिक गुरु को उनके कक्ष तक ले जाया गया.
आज महाबोधि मंदिर में करेंगे पूजा
अब शुक्रवार की सुबह करीब आठ बजे दलाईलामा महाबोधि मंदिर जायेंगे व भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना करेंगे. इसके बाद यहां कालचक्र मैदान में दलाईलामा का तीन दिवसीय 29,30 व 31 दिसंबर को टीचिंग कार्यक्रम तय है. दलाईलामा के दीर्घायु होने के लिए कालचक्र मैदान में ही एक दिवसीय पूजा-प्रार्थना भी की जायेगी.
कौन हैं दलाईलामा
ज्ञात हो कि 14वें दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु हैं और इनका जन्म छह जुलाई 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में रहने वाले ओमान परिवार में हुआ था. वर्तमान में दलाईलामा की आयु 87 वर्ष हो चुकी है.
44 देशों के अनुयायियों ने कराया रजिस्ट्रेशन
सूचना के अनुसार, दलाईलामा की टीचिंग सुनने के लिए अब तक 44 देशों के अनुयायियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है और वे सभी बोधगया पहुंच रहे हैं. दलाईलामा का बोधगया में 20 जनवरी तक प्रवास करने की भी सूचना है व इस दौरान वह दलाईलामा ट्रस्ट की ओर से निर्माण होने वाले आध्यात्मिक उच्च शिक्षण संस्थान का शिलान्यास भी करेंगे. थाइलैंड के बौद्ध मठ वट्पा में भी आयोजित एक कार्यक्रम में दलाईलामा के शामिल होने की संभावना है.
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कड़ी सुरक्षा के बीच तिब्बत मोनास्टरी में कराया गया प्रवास
दलाईलामा के बोधगया आगमन पर तिब्बत बौद्ध मठ से बांग्लादेश बौद्ध मठ तक सड़क के दोनों किनारे बौद्ध श्रद्धालु, विदेशी अनुयायियों के साथ ही मूल रूप से तिब्बत के प्रवासी नागरिकों ने हाथों में खादा लेकर अभिनंदन किया और दलाईलामा का आशीर्वाद प्राप्त किया. दलाईलामा की सुरक्षा को लेकर तिब्बत मोनास्टरी क्षेत्र को अभेद्य किले में तब्दील कर दिया गया है व त्रिस्तरीय सुरक्षा-व्यवस्था के बीच दलाईलामा का प्रवास कराया गया है.