पिता की मौत के बाद अनुकंपा पर नौकरी पाने वाली इकलौती बेटी के वेतन से मां ने 25 फीसदी हिस्सा मांगा तो बेटी ने सास-ससुर की सेवा की खातिर मां को वेतन में हिस्सेदार बनाने से इन्कार कर दिया़. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के फैसले से असंतुष्ट मां ने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटा दिया़.आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने पेंशनधारी महिला को वेतन में हिस्सेदार तो नहीं बनाया, लेकिन बेटी द्वारा दिये जा रहे गुजारा भत्ते में 25 फीसदी का इजाफा करने का फैसला दिया है़.
इकलौती संतान के वेतन से हिस्सा मांगने वाली मां को 11 हजार रुपये पेंशन मिलती है़. लघु सिंचाई प्रमंडल नवादा में कार्यरत गुड्डी कुमारी के खिलाफ उनकी मां भारती देवी ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी कि बेटी उनकी देखभाल नहीं कर रही है़. इस कारण भरण पोषण के लिये बेटी के वेतन का 25 फीसदी अंश दिलाया जाये़. इकलौती संतान गुड्डी की नौकरी अपने पिता की जगह मिली है़. मामले की सुनवाई कर रहे मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने लघु जल संसाधन विभाग से रिपोर्ट मांगी़.
विभाग गुड्डी कुमारी को पहले ही मां को साथ रखकर उसका भरण पोषण करने का निर्देश दे चुका था़. गुड्डी का कहना था कि मां उसके साथ रहने को तैयार नहीं है़.अधीक्षण अभियंता, लघु सिंचाई प्रमंडल, नवादा ने समझौता कराते हुए दो हजार रुपये प्रतिमाह देना निर्धारित कराया़. भारती देवी इससे संतुष्ट नहीं हुई और उसने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, नवादा के यहां वेतन में हिस्सा लेने को आवेदन किया.
भारती देवी का आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि पुत्री द्वारा अपनी माता को विभाग के आदेश पर भरण- पोषण को दो हजार रुपये प्रतिमाह दिये जा रहे है़ं. इसके बाद भारती देवी देवी ने मानवाधिकार आयोग के यहां आवेदन दिया़. इस मामले में आयोग ने फैसला दिया कि बेटी हर माह की 10 तारीख से पहले मां के खाते में ढाई हजार रुपये भरण-पोषण को देगी़.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan