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सिवान में सिपाही की मौत के बाद जवानों का फूटा गुस्सा, थानाध्यक्ष पर उठने लगी उंगली

सिवान में खान ब्रदर्स अयूब-रईस के गांव ग्यासपुर में हुई पुलिस टीम पर हमले में एक जवान की मौत हो गयी. वहीं एक ग्रामीण भी घायल हो गया. घटना के बाद से ग्यासपुर में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया. इसके बाद अब थानाध्यक्ष पर भी सवाल उठने लगे हैं.

सीवान. सिसवन थाने में पदस्थापित जवान बाल्मीकि यादव की मौत के बाद पुलिस कर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा है. छापेमारी को निकले गश्ती दल में शामिल साथी की गोलीबारी में मौत के बाद पुलिस कर्मी आक्रोशित है. कई पुलिस कर्मियों ने तो प्रभारी थानाध्यक्ष राजेश कुमार को आड़े हाथ लिया है.

थाने में तैनात चौकीदार परमात्मा

पुलिस कर्मियों की माने तो राजेश कुमार जब से प्रभार में थानाध्यक्ष का पद संभाले तब से सब पुलिस कर्मी पीड़ित है. उनकी मानें तो राजेश कुमार को सिर्फ शराब से मतलब रहता है. यही नहीं वह थानाध्यक्ष नहीं बल्कि सिसवन थाने में तैनात चौकीदार परमात्मा है. उसके कहने पर थानाध्यक्ष छापेमारी करते है, गिरफ्तारी करते है. यही नहीं परमात्मा के कहने पर ही उसे छोड़ देते है. साथी की मौत से आक्रोशित अन्य जवानों ने भी थानाध्यक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठाया.

थानाध्यक्ष खुद नेतृत्व नहीं करते

जवानों का कहना था कि छापेमारी के दौरान थानाध्यक्ष भी गश्ती दल में मौजूद थे परंतु सिर्फ बाल्मीकि को ही गोली क्यों लगी. थानाध्यक्ष खुद नेतृत्व नहीं करते है. वह तो सिपाहियों पर निर्भर रहते हैं. बताया जाता है कि एक मात्र सिसवन थाना ही नहीं बल्कि जिले के लगभग कई थाने ऐसे है, जहां चौकीदारों की तुती बोलती है.

थानों में चौकीदार ही मुंशी का कार्य देखते हैं 

अधिकांश थानों में चौकीदार ही मुंशी का कार्य देखते है. उदाहरण के तौर पर मुफस्सिल, दरौली, गुठनी, जीबीनगर, महादेवा ओपी, बड़हरिया सहित कई ऐसे थाने है जहां चौकीदार से मुंशी का कार्य लेते हुए देखा जा सकता है. यही नहीं उनके ही इशारे पर थानाध्यक्ष भी कार्य करते नजर आते है. इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि सिसवन में सिपाहियों व अन्य जवानों द्वारा लगाया जा रहा आरोप सही है.

तेज तर्रार पुलिस कर्मी में गिने जाते थे बाल्मीकि यादव

सिसवन के ग्यासपुर में पुलिस गश्ती दल पर फायरिंग में पटना के मसौढ़ी के रेवा पोस्ट के जिलाल बिगहा गांव निवासी रामाशीष प्रसाद के पुत्र बाल्मीकि यादव की मौत हो गयी. बताया जाता है कि बाल्मीकि यादव एक वर्ष पहले सीवान में आया था. यहां उसकी तैनाती नगर थाने के टाइगर मोबाइल में हुई थी. करीब आठ महीने टाइगर मोबाइल में रहने के बाद उसकी तैनाती सिसवन थाने में हुई थी. सीवान आने से पहले उसकी तैनाती गोपालगंज जिले में थी. उसकी मौत के बाद साथियों में चर्चा है कि वह काफी तेज तर्रार था. किसी भी घटना में वह आगे-आगे रहता था. इस घटना में भी जब अपराधी भाग रहे थे तो थानाध्यक्ष के साथ वाहन में बैठे बाल्मीकि यादव सबसे पहले नीचे उतरे और अपराधियों को पकड़ने के लिए दौड़ लगा दी. यह देख अपराधियों ने उन पर फायरिंग कर दिया जिसमें उसकी मौत हो गयी.

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थानाध्यक्ष के सीवान शहर में रहने की चर्चा

सिसवन थाने में पदस्थापित जवान बाल्मीकि यादव की मौत के बाद थानाध्यक्ष राजेश कुमार पर उंगली उठनी शुरू हो गयी है. जवानों ने जहां चौकीदार के इशारे पर कार्य का आरोप लगाया है तो कइयों ने सिसवन मुख्यालय न रहते हुये सीवान शहर में रहने की चर्चा शुरू कर दी है. जवानों का आरोप था कि थानाध्यक्ष सिसवन में नहीं बल्कि सीवान शहर में रहते है. वहीं से आते-जाते है. वह अपनी पर्सनल वाहन से आते है और उसी से छापेमारी को निकल जाते है. बीती रात भी वह एक निजी वाहन से छापेमारी को निकले थे

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