Loading election data...

बिहार में अब सौतेले संतान भी माने जायेंगे आश्रित, स्वास्थ्य विभाग ने तय की नयी परिभाषा

Dependents in Bihar: आश्रितों को को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने संकल्प जारी किया है, जिसमें आश्रितों की परिभाषा, उम्र सीमा निर्धारण कर दिया गया है.

By Ashish Jha | August 14, 2024 9:34 AM

Dependents in Bihar: पटना. बिहार में अब सौतेले संतान को भी पिता या माता का आश्रित माना जायेगा. इतना ही नहीं नाबालिग भाई या बहन को भी आश्रितों की सूची में शामिल कर लिया गया है. बिहार सरकार ने मेडिकल रिइम्बर्समेंट में आ रही परेशानियों को देखते हुए कानून में बदलाव किया है. ऐसे संबंधों को लेकर मेडिकल रिइम्बर्समेंट में कई मामले फंसे हुए हैं. ऐसे में सरकार ने नये सिरे से आश्रितों की परिभाषा तय की है. पिछले दिनों इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य कैबिनेट के समक्ष रखा गया था, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी.

नयी परिभाषा को मिली मान्यता

कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल रिइम्बर्समेंट (चिकित्सा प्रतिपूर्ति) को लेकर आश्रितों की परिभाषा स्पष्ट कर दी है. कैबिनेट की स्वीकृति के बाद स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि आश्रितों की श्रेणी में सौतेले पुत्र-पुत्री के अलावा नाबालिग भाई भी शामिल हैं. विधान मंडल के सदस्यों, राज्य के सरकारी पदाधिकारियों और कर्मियों के आश्रितों को इस आधार पर ही मेडिकल रिइम्बर्समेंट किया जायेगा.

Also Read: Darbhanga Metro: कब शुरू होगी दरभंगा समेत चार शहरों में मेट्रो, नवंबर में राइट्स सौंपेगी रिपोर्ट

क्या है नयी परिभाषा

आश्रितों को को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने संकल्प जारी किया है, जिसमें आश्रितों की परिभाषा, उम्र सीमा निर्धारण कर दिया गया है. इनके पुत्र को उनके विवाह होने या 25 वर्ष की आयु तक मेडिकल रिइम्बर्समेंट का लाभ मिलेगा. ऐसे कर्मियों की पुत्री के संबंध में आयु सीमा का विचार किये बगैर उसके द्वारा जीविकोपार्जन शुरू किये जाने या उसके विवाहित होने तक आश्रित माना गया है. पुत्र या पुत्री के निशक्त होने पर आयु सीमा पर विचार किये बिना और वैवाहिक स्थिति के बाद भी आश्रित माना जायेगा. तलाकशुदा व पति द्वारा परित्यक्त या विधवा पुत्री को भी बिना उम्र सीमा पर विचार किये आश्रित माना जायेगा.

Next Article

Exit mobile version